Parenting Tips: बच्चे झूठ बोलने लगे? घबराएं नहीं, लाएं उनकी आदतों में सुधार

Parenting Tips: बच्चे झूठ बोलने लगे तो घबराएं नहीं, लाएं उनकी आदतों में सुधार यह बात समझना ज़रूरी है कि छोटे बच्चे कभी-कभी जिज्ञासा, डर या ध्यान आकर्षित करने के लिए झूठ बोलते हैं। लेकिन अगर आपका बच्चा बार-बार झूठ बोलने लगे तो यह चिंता का विषय हो सकता है।

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Parenting Tips: बच्चों का सच और झूठ का फर्क समझना वाकई मुश्किल होता है। छोटी उम्र में वे कल्पना और वास्तविकता के बीच अंतर नहीं समझ पाते, जिसके कारण वे अनजाने में ही झूठ बोल देते हैं। लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, वे समझने लगते हैं कि झूठ बोलना गलत है। यदि आपका बच्चा बार-बार झूठ बोलने लगता है, तो चिंता न करें। कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप उसकी इस आदत में सुधार ला सकते हैं। जब कभी भी बच्चे आपसे झूठ बोलें तो गुस्सा या डांटे नहीं। गुस्सा या डांटने से बच्चा डर जाएगा और आपसे और भी ज्यादा झूठ बोलेगा। सरल भाषा में समझाएं कि झूठ बोलने से लोगों का विश्वास टूटता है और रिश्ते खराब होते हैं। जब आपका बच्चा सच बोलता है तो उसकी तारीफ करें और उसे पुरस्कृत करें।

झूठ बोलने का कारण जानें

डर, शर्म, या सजा से बचने के लिए बच्चे अक्सर झूठ बोलते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई बच्चा किसी नियम को तोड़ देता है, तो वह डर के मारे माता-पिता से झूठ बोल सकता है। कुछ बच्चे झूठ बोलकर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करते हैं। यह तब हो सकता है जब उन्हें लगता है कि उन्हें पर्याप्त ध्यान नहीं मिल रहा है, या जब वे किसी से नाराज होते हैं। बच्चे कभी-कभी झूठ बोलते हैं ताकि उन्हें कुछ ऐसा मिल सके जो वे चाहते हैं, जैसे कि खिलौना, मिठाई, या कोई गतिविधि। छोटे बच्चे हमेशा सच और कल्पना के बीच अंतर नहीं समझ पाते हैं। वे जो कल्पनिक कहानियां बनाते हैं, उन्हें वे सच मान सकते हैं और दूसरों को भी यही बता सकते हैं। बड़े होने का दिखावा करने या दूसरों पर नियंत्रण रखने के लिए कुछ बच्चे झूठ बोल सकते हैं।

सच बोलने के लिए प्रोत्साहित करें

बच्चों में सच बोलने की आदत विकसित करने के लिए, उनके लिए एक ऐसा माहौल बनाना ज़रूरी है जहाँ वे बिना किसी डर या चिंता के सच बोल सकें। अपने बच्चे से खुलकर बात करें और उसे भी अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें। जब आपका बच्चा आपसे बात कर रहा हो, तो ध्यान से सुनें और उसे अपना पूरा ध्यान दें। बच्चे को यह बताएं कि आप उसकी भावनाओं को समझते हैं और उनका सम्मान करते हैं, भले ही आप उनसे सहमत न हों।बच्चे को गलती करने पर डांटने या सजा देने की बजाय, सकारात्मक अनुशासन का उपयोग करें। इसमें उसे सही और गलत के बारे में सिखाना और उचित व्यवहार के लिए पुरस्कृत करना शामिल है। जब आपका बच्चा गलती करता है, तो उसे क्षमा करें और उसे आगे बढ़ने का मौका दें। जब आपका बच्चा सच बोलता है, तो उसकी प्रशंसा करें और उसे प्रोत्साहित करें। आप उसे छोटे-छोटे पुरस्कार भी दे सकते हैं। यदि बच्चा बार-बार झूठ बोलता है, तो उसे उचित नकारात्मक परिणाम भुगतने दें। हालांकि, यह सुनिश्चित करें कि दंड सख्त न हो और बच्चे को नुकसान न पहुंचाए। बच्चे अपने माता-पिता और अन्य वयस्कों को देखकर सीखते हैं। इसलिए, उनके सामने हमेशा सच बोलें और ईमानदारी से व्यवहार करें।

करें ये काम

बच्चों को सच बोलने की आदत बचपन से ही डालना बहुत ज़रूरी है।बच्चों को समझाएं की सच बोलने से ईमानदारी, विश्वास और सम्मान बढ़ता है। उदाहरणों के साथ समझाएं कि झूठ बोलने से गलतफहमी, रिश्तों में खटास और सजा भी मिल सकती है। उनसे पूछें कि अगर मम्मी-पापा उनसे झूठ बोलेंगे तो उन्हें कैसा लगेगा। झूठ के दुष्प्रभाव समझाने के लिए आप “चंद्रमा का झूठ” जैसी कहानियां सुना सकते हैं। कहानियां बच्चों के मन पर गहरा असर डालती हैं। जब आपके बच्चे सच बोलें तो उनकी तारीफ करें। बच्चों के सामने हमेशा सच बोलें।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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