Parenting Tips: आज के दौर में, स्मार्टफोन और इंटरनेट ने बच्चों के जीवन को कई तरह से बदल दिया है। शिक्षा के क्षेत्र में भी इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है। जहाँ पहले बच्चे घंटों किताबें पढ़ते थे और लिखने का अभ्यास करते थे, वहीं आजकल वे ज़्यादातर समय मोबाइल स्क्रीन पर बिताते हैं। इस डिजिटल मोह का बच्चों की लिखावट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। मोबाइल स्क्रीन पर टाइपिंग और स्वाइपिंग करने से हाथों की मांसपेशियां कमजोर होती हैं, जिससे लिखते समय पेन पकड़ने में परेशानी होती है। इसके अलावा, मोबाइल स्क्रीन पर पढ़ने से बच्चों में लिखने की सही आदतें विकसित नहीं होती हैं। वे अक्सर गलत वर्तनी और व्याकरण का प्रयोग करते हैं, और उनकी लिखावट भी अव्यवस्थित और अस्पष्ट होती है। बच्चों की खराब लिखावट का असर उनके स्कूल के प्रदर्शन पर भी पड़ता है। कई बार उन्हें राइटिंग में कम अंक मिलते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास डगमगा जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए, अभिभावकों को ज़रूरी है कि वे बच्चों को मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से रोकें और उन्हें लिखने-पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चों के लिए नियमित रूप से लिखने का अभ्यास करवाना चाहिए और उनकी गलतियों को सुधारने में मदद करनी चाहिए।
बच्चों का भविष्य और शिक्षा हर पेरेंट्स के लिए सर्वोपरि है। यह स्वाभाविक है कि कुछ बच्चे शुरुआती दौर में पढ़ाई में उतना ध्यान नहीं देते हैं और स्कूल और पढ़ाई से बचने की कोशिश करते हैं। इसका परिणाम उनकी लिखावट पर भी पड़ सकता है। यदि आप भी अपने बच्चे की खराब लिखावट से परेशान हैं, तो घबराने की बजाय धैर्य रखें और इन चरणों का पालन करें। बच्चों में अच्छी लिखावट विकसित करने के लिए, उन्हें सही तरीके से पेंसिल पकड़ना सिखाना बहुत महत्वपूर्ण है। कई बच्चे गलत तरीके से पेंसिल पकड़ते हैं, जिससे उनकी लिखावट अव्यवस्थित, खराब और दर्दनाक हो सकती है।यहाँ बच्चों को पेंसिल पकड़ने की सही तकनीक सिखाने के कुछ चरण दिए गए हैं।
1. त्रि-पॉड पकड़ (Tripod Grip)
यह पेंसिल पकड़ने का सबसे आम और प्रभावी तरीका है। इसमें अंगूठा, तर्जनी और मध्यमा अंगुली का उपयोग शामिल है। अंगूठे को पेंसिल के पीछे रखें, तर्जनी को पेंसिल के किनारे रखें, और मध्यमा अंगुली को पेंसिल के नीचे थोड़ा पीछे रखें। पेंसिल को अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच रखें, लगभग 1 इंच ऊपर। पेंसिल को अपने हाथ के करीब रखें, अपनी कोहनी को टेबल पर टिकाएं। कागज को अपने शरीर के 45 डिग्री के कोण पर रखें। अपनी कलाई को सीधा रखें और कागज पर हल्का दबाव डालें। बच्चों को नियमित रूप से लिखने का अभ्यास करवाएं। छोटे-छोटे शब्दों और वाक्यों से शुरुआत करें और धीरे-धीरे कठिनाई के स्तर को बढ़ाएं। विभिन्न प्रकार के लेखन अभ्यास करवाएं, जैसे कि कॉपी करना, डॉट्स को जोड़ना, और लाइन में लिखना।
2. सीधी लाइन खींचने की प्रैक्टिस करें
बच्चों में अच्छी लिखावट विकसित करने के लिए, उन्हें विभिन्न प्रकार के लेखन अभ्यास करवाना ज़रूरी है। इनमें से एक महत्वपूर्ण अभ्यास है रेखाएँ खींचना। सीधी, तिरछी और घुमावदार रेखाएँ खींचने का अभ्यास बच्चों को निम्नलिखित लाभ प्रदान करता है। रेखाएँ खींचने के लिए, बच्चों को अपनी आँखों और हाथों को एक साथ काम करना होता है। इससे उनके हाथ-आँख के समन्वय में सुधार होता है, जो लिखावट के लिए आवश्यक है। रेखाएँ खींचने के लिए, बच्चों को अपनी उंगलियों और कलाई की छोटी मांसपेशियों का उपयोग करना होता है। इससे उनके ठीक मोटर कौशल में सुधार होता है, जो पेंसिल पकड़ने और लिखने के लिए आवश्यक है। रेखाएँ खींचने के लिए धैर्य और एकाग्रता की आवश्यकता होती है। यह अभ्यास बच्चों को इन गुणों को विकसित करने में मदद करता है, जो सीखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।जब बच्चे रेखाएँ खींचने में सक्षम होते हैं, तो इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। यह उन्हें लिखने और अन्य गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।
3. राइटिंग प्रैक्टिस
बच्चों में अच्छी लिखावट विकसित करने के लिए, उन्हें बड़े और छोटे अक्षरों का नियमित अभ्यास करवाना ज़रूरी है। बड़े और छोटे अक्षरों का अभ्यास करने से बच्चों को अक्षरों की पहचान करने और उन्हें सही ढंग से लिखने में मदद मिलती है। यह अभ्यास बच्चों को अक्षरों के सही आकार को समझने और उन्हें सही ढंग से लिखने में मदद करता है। बड़े और छोटे अक्षरों को लिखने के लिए, बच्चों को अपनी आँखों और हाथों को एक साथ काम करना होता है। इससे उनके हाथ-आँख के समन्वय में सुधार होता है, जो लिखावट के लिए आवश्यक है। बड़े और छोटे अक्षरों को लिखने के लिए, बच्चों को अपनी उंगलियों और कलाई की छोटी मांसपेशियों का उपयोग करना होता है। इससे उनके ठीक मोटर कौशल में सुधार होता है, जो पेंसिल पकड़ने और लिखने के लिए आवश्यक है।
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