क्या आपका बच्चा भी आपसे बातें छिपा रहा है? बस अपनाएं ये ट्रिक्स, सब सच उगल देगा

अगर आपका बच्चा आपसे बातें छिपाने लगा है, तो घबराने की जरूरत नहीं, बल्कि समझदारी से उसे समझने की जरूरत है। कई बार डर, माता-पिता की प्रतिक्रिया या भावनात्मक दूरी इसकी वजह बन सकती है। जानिए इसे रोकने के आसान तरीके।

Bhawna Choubey
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बच्चों की अच्छी परवरिश करना माता-पिता की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी होती है, अपनी इस ज़िम्मेदारी को अच्छे से निभाने के लिए माता-पिता हर वो कोशिश करते हैं जो कि वो कर सकते हैं। माता-पिता अपने बच्चों को सभी तरह की सुख सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं जिससे की बच्चों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी का सामना न करना पड़े।

बच्चे के पैदा होने के पहले ही उसकी परवरिश की चिंताएं माता-पिता को सताने लगती है, बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास पर माता-पिता का बड़ा प्रभाव पड़ता है। हम आपको इस आर्टिकल में विस्तार से बताएंगे, की बच्चे माता-पिता से बातें क्यों छिपाते हैं, और आप किस तरह से उनकी मन की बातों को बाहर निकला सकते हैं, तो चलिए बिना देर करते हुए जान लेते हैं।

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क्या आपका बच्चा भी आपसे बातें छिपा रहा है? (Parenting Tips)

डाँट पड़ने का डर

बातें छुपाने का सबसे पहला कारण होता है डाँट पड़ने का डर, अक्सर बच्चे माता पिता से कई सारी बातें छिपा लेते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर ये बातें उनकी मम्मी-पापा को पता चलेगी, तो वे उन पर ग़ुस्सा करेगी और डांटेंगे। अगर आपका बच्चा भी आपसे बात छुपा रहा है, तो इस बात का ध्यान रखें कि आप उन्हें ऐसा एहसास करवाएं, की आप भी उनके दोस्त है, जब आपका बच्चा आपसे कुछ बातें शेयर करें, तो दोस्त के हिसाब से सुनें, और समझने की कोशिश करें, अगर तुरंत बच्चों की बातों पर रियेक्ट करेंगे, बच्चे कभी भी आपको अपने मन की बात नहीं बताएंगे।

भावनाओं को न समझ पाना

कई बार बच्चे माता-पिता से बात इसलिए भी छिपाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ये बातें माता-पिता नहीं समझ पाएंगे, अगर आपको लग रहा है कि आपका बच्चा आपसे बातें छिपा रहा है, तो आप अपने घर का माहौल इस तरह बनाकर रखें, कि बच्चा खुलकर अपने मन की बात कह पाए। ऐसे माहौल में बच्चा अपनी भावनाओं को आपके सामने व्यक्त करेगा, लेकिन इस बात का ध्यान रखें, कि आपको बच्चों की बातों को समझना है ना कि उन्हें जज करना है। अगर आप उन्हें जज करेंगे, तो वे कभी भी आप से कोई बात शेयर नहीं करेंगे।

तनाव में रहना

कई बार बातों को छिपाने के पीछे तनाव भी कारण हो सकता है, अगर आपको ऐसा लग रहा है कि आपका बच्चा आजकल चुप चुप रहता है, ज़्यादा बातें नहीं करता है, तो इस समस्या को मामूली ना समझें, अपने बच्चों की मन की बातों को समझने की कोशिश करें, अगर वे किसी समस्या में फँसे हैं, तो उन्हें बाहर निकालने में मदद करें । जब आप अपने बच्चों से अच्छे से पूछेंगे, उन्हें विश्वास दिलाएंगे, तो बच्चा आपको सारी बातें बता देगा।

 


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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