Parenting Tips: समर वेकेशन पर बच्चों को इस तरह रखें बिजी, मोबाइल और टीवी से अपने आप बना लेंगे दूरी

Parenting Tips: आजकल के बच्चे इन खेलों से अनजान हैं। उन्हें बस टीवी और मोबाइल की लत लग गई है। घंटों तक वे फोन स्क्रीन में गुम रहते हैं। भाग-दौड़ वाले खेल तो मानो उन्होंने बंद ही कर दिए हैं। यह बदलाव चिंताजनक है।

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Parenting Tips: हर किसी के बचपन की छुट्टियों की यादें खास होती हैं। उस दौर में मोबाइल फोन, टीवी और वीडियो गेम्स जैसी चीजें आम नहीं थीं। पैसे की कमी के कारण, लोग इन चीजों पर खर्च नहीं कर पाते थे। इसलिए, गर्मियों की छुट्टियों में बच्चे अपना समय भाई-बहनों और दोस्तों के साथ खेल-कूद में बिताते थे। गली-मोहल्ले के बच्चे मिलकर गिल्ली-डंडा, लंगड़ी, छुपन-छिपाई, कंचे, पतंग, और क्रिकेट जैसे खेल खेलते थे। ये खेल न केवल मनोरंजक होते थे, बल्कि इनसे बच्चों में आपसी भाईचारा, टीम भावना और प्रतिस्पर्धात्मक भावना का विकास भी होता था। इन खेलों के अलावा, तैराकी, फल तोड़ना, बगीचे में खेलना, और घर के कामों में मदद करना भी बच्चों की छुट्टियों का हिस्सा होता था।

पहले आंगन में या छत पर, खुले आसमान के नीचे, बिना पढ़ाई की चिंता के घंटों तक खेलने का मज़ा ही कुछ और था। गिल्ली-डंडा, लंगड़ी, छुपन-छिपाई, कंचे, पतंग, क्रिकेट… ये वो खेल थे जो दोस्ती, भाईचारा और प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ाते थे। लेकिन आजकल के बच्चे इन खेलों से अनजान हैं। उन्हें बस टीवी और मोबाइल की लत लग गई है। घंटों तक वे फोन स्क्रीन में गुम रहते हैं। भाग-दौड़ वाले खेल तो मानो उन्होंने बंद ही कर दिए हैं। यह बदलाव चिंताजनक है। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए खेलों का बहुत महत्व है। खेलों से बच्चों में ऊर्जा, स्फूर्ति, एकाग्रता और आत्मविश्वास बढ़ता है। साथ ही, सामाजिक कौशल और टीम भावना का भी विकास होता है। यह ज़रूरी है कि हम बच्चों को इन पारंपरिक खेलों से अवगत कराएं। उन्हें इन खेलों का मज़ा लेने दें, खुली हवा में खेलने दें, और प्रकृति से जुड़ने दें।

बच्चों को रंगों की दुनिया से रूबरू कराने का सबसे अच्छा तरीका है उन्हें रंगीन कलर बुक देना। ये किताबें न केवल बच्चों का मनोरंजन करती हैं, बल्कि उन्हें सीखने का भी शानदार अवसर प्रदान करती हैं।बच्चों को रंगीन और स्वादिष्ट फल और सब्जियों को रंगते हुए उनके नाम, रंग और आकार सीखने में मज़ा आएगा।विभिन्न प्रकार के जानवरों को रंगते हुए बच्चों को प्रकृति से जुड़ने और जानवरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का मौका मिलेगा। अपनी पसंदीदा परी कथाओं और किरदारों को रंगते हुए बच्चों की कल्पनाशीलता और रचनात्मकता विकसित होगी। विभिन्न त्योहारों और छुट्टियों से संबंधित चित्रों को रंगते हुए बच्चों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं के बारे में जानकारी मिलेगी। अक्षरों, संख्याओं, भौगोलिक मानचित्रों और वैज्ञानिक चित्रों को रंगते हुए बच्चों को सीखने का एक मजेदार तरीका मिलेगा।

आजकल के बच्चे ज़्यादातर समय स्क्रीन के सामने बिताते हैं, जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। यदि आप अपने बच्चों को स्क्रीन से दूर रखना चाहते हैं और उन्हें व्यस्त रखना चाहते हैं, तो उन्हें डांस क्लास में भेजना एक बेहतरीन विकल्प है। डांस एक बेहतरीन व्यायाम है जो बच्चों को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने में मदद करता है। इससे उनकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं, हड्डियां मजबूत होती हैं, और सहनशक्ति बढ़ती है। डांस तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है और मूड को बेहतर बनाता है। यह बच्चों को आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान भी प्रदान करता है। डांस क्लास में बच्चे अन्य बच्चों के साथ मिलकर काम करना और सामाजिक कौशल विकसित करना सीखते हैं। डांस सीखने के लिए अनुशासन और एकाग्रता की आवश्यकता होती है, जो बच्चों को अन्य क्षेत्रों में भी सफलता प्राप्त करने में मदद करती है। डांस बच्चों को अपनी रचनात्मकता और भावनाओं को व्यक्त करने का एक शानदार तरीका प्रदान करता है।

क्या आप चाहते हैं कि आपके बच्चे किताबें पढ़ने की आदत डालें? यदि हाँ, तो कहानियों वाली किताबें आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हैं। कहानियां बच्चों की कल्पनाशीलता और रचनात्मकता को बढ़ावा देती हैं। कहानियां बच्चों को विभिन्न विषयों के बारे में सीखने और समझने में मदद करती हैं। कहानियां बच्चों की शब्दावली, व्याकरण और भाषा कौशल को विकसित करने में मदद करती हैं। कहानियां बच्चों को दूसरों के प्रति सहानुभूति और भावनाओं को समझने में मदद करती हैं।कहानियां बच्चों का मनोरंजन करती हैं और उन्हें मज़ेदार समय बिताने का अवसर प्रदान करती हैं।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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