क्या आप भी बच्चों के सिर पर मारते हैं थप्पड़? तुरंत सुधारें ये आदत, पड़ सकती है भारी

Parenting Tips: जब बच्चे शरारत करते हैं, तो कई बार माता-पिता उन्हें मजाक में या फिर कई बार गुस्से में सिर पर थप्पड़ मार देते हैं। हालांकि, यह बात उन्हें ज्यादा बड़ी नहीं लगती है, क्योंकि वे धीरे से ही मारते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर के पीछे थप्पड़ मारने की यह आदत बच्चों के लिए कितनी नुकसानदायक हो सकती है।

Bhawna Choubey
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Parenting Tips: जब कई बार बच्चे मस्ती करते हैं या फिर कुछ गलत काम करते हैं तो माता-पिता उन्हें डांटते हैं या फिर कई बार मारते भी हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि कई माता-पिता अपने बच्चों को सिर के पीछे थप्पड़ मारते हैं, इस बात को कई माता-पिता बच्चों को सुधारने का तरीका मानते हैं, लेकिन यह तरीका कितना भारी पड़ सकता है यह बात वे नहीं जानते हैं।

हालांकि, माता-पिता बच्चों को सिर के पीछे जोर से नहीं मारते हैं धीरे से ही मारते हैं, लेकिन इससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। इसलिए कहा गया है कि अगर आपमें भी यह आदत है, तो इसे जल्द ही सुधार लेना चाहिए, हम आपको आगे जो बताने जा रहे हैं, वह पढ़ने के बाद आप भी अपने बच्चों को सिर के पीछे मारने से पहले दो बार सोचेंगे।

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मानसिक स्वास्थ पर पड़ता है बुरा असर

अगर आपने कभी गौर किया हो तो देखा होगा या फिर महसूस किया होगा। जब भी हम किसी व्यक्ति को पीठ पर मारते हैं, तो वह उतना ज्यादा रिएक्ट नहीं करता है जितना कि सिर के पीछे मारने के बाद किया जाता है। फिर चाहे धीरे से ही क्यों ना मारा हो, सिर के पीछे थप्पड़ मारने से आत्म सम्मान, मानसिक स्थिति और व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसा ही कुछ बच्चों के साथ होता है।

माता-पिता सुधारें ये आदत

जब माता-पिता बच्चों को सिर के पीछे थप्पड़ मारते हैं तो न सिर्फ उनकी मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बल्कि दिन पर दिन उनका आत्मविश्वास भी कम होता जाता है, ज्यादातर माता-पिता को लगता है कि ऐसा वे इसलिए करते हैं, ताकि बच्चा सुधर जाए। अगर आप सच में बच्चों को सुधारना चाहते हैं, तो आपको कुछ अलग तरीका अपनाना चाहिए, और इस आदत को सुधारना चाहिए।

इस तरह से बच्चों को सुधारें

अगर बच्चा आपकी बात नहीं सुन रहा है, तो आप डांटने या मारने की बजाय थोड़ी देर बच्चों से गुस्सा हो सकते हैं, जब आप कुछ देर के लिए उनसे बात नहीं करेंगे तो उन्हें एहसास होगा कि उन्होंने जो किया है वह उन्हें नहीं करना चाहिए और वह आगे से आपकी सारी बातें सुनेंगे।

दूसरा तरीका यह हो सकता है कि अगर बच्चा आपकी बात नहीं सुन रहा है, तो आप उसे पनिशमेंट के रूप में खेलने जाने से मना कर सकती है या फिर उसकी फेवरेट चीज उसे ना दें। जब आप ऐसी छोटी-छोटी पनिशमेंट देंगे तो बच्चा समझ जाएगा कि उसने गलती की है और वह दोबारा गलती नहीं दोहराएगा।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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