बच्चों में इन आदतों का दिखना है खतरे की घंटी, जानिए कैसे पहचानें गलत संगत

Parenting Tips: बच्चों की आदतें उनके भविष्य की दिशा तय करती हैं। यदि आपके बच्चे में कुछ ऐसी आदतें दिखाई दें, तो यह समय है सतर्क होने का. ये आदतें न केवल उनके व्यक्तित्व को प्रभावित कर सकती हैं, बल्कि उनका भविष्य भी बदल सकती हैं.

Bhawna Choubey
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बच्चों का भविष्य कैसा रहेगा कभी कभी ये चीज़ें भी उनके बचपन में ही हमें उनके व्यवहार से पता चल जाती है. अगर आप भी अपने बच्चों में कुछ ऐसी आदतों को ग़ौर करते हैं, जिन्हें आप को देखकर लगता है कि ये आदतें बच्चों में नहीं होनी चाहिए, लेकिन ये जानने के बावजूद भी आप बच्चों की इन आदतों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, सिर्फ़ ये सोचकर कि बच्चा अभी छोटा है बड़ा होते होते ही वह समझदार हो जाएगा और उसकी यह आदत भी छूट जाएगी.

लेकिन ये माता पिता की सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी है, बच्चों की ग़लत आदतों को नज़रअंदाज़ करना, उनके लिए भविष्य में ख़तरनाक साबित हो सकता है. कुछ सालों बाद जब बच्चा बड़ा हो जाएगा तो वह ग़लत आदतों में इस तरह से लिप्त हो जाएगा कि आप चाहकर भी उसे सही आदत नहीं सिखा पाएंगे, इसलिए ज़रूरी है कि बच्चों को बचपन से ही सही आदत सिखायी जाए और ग़लत आदतों को बिलकुल भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जाए.

झूठ बोलना (Parenting Tips)

सबसे बड़ी और ग़लत आदत होती है झूठ बोलना. अगर आपको ऐसा लग रहा है कि आपका बच्चा बात बात पर झूठ बोलता है, तो आपको तुरंत टोकना चाहिए, और बताना चाहिए कि ये आदत बेकार है, झूठ बोलना बेकार आदत होती है फिर फ़र्क नहीं पड़ता कि झूठ बड़ा है या फिर छोटा. अगर आप अपने बच्चों को झूठ बोलने से अभी नहीं रोकेंगे टोकेंगे, तो बच्चा जैसे जैसे बड़ा होगा वैसे वैसे झूठ बोलने की आदत भी उसकी बढ़ती चली जाएगी.

चोरी करना

दूसरों की चीज़ों को अपने पास रख लेना, या फिर चोरी करना भी बहुत बुरी आदत होती है. अगर आपका बच्चा स्कूल में पढ़ाई करता है और गलती से या फिर जानबूझकर किसी और की चीज़ें घर ले आता है तो आप उसे बताएँ कि अगले दिन वह उस व्यक्ति को उसकी चीज़ें लौटा दें. आपको अपने बच्चों को यह भी सिखाना चाहिए कि किसी और की चीज़ों को बिना उसकी परमिशन रखना सही नहीं होता है.

गुस्सा करना

आजकल जैसा कि देखा जाता है कि बच्चों को छोटी-छोटी बातों में बहुत ज़्यादा ही ग़ुस्सा आने लगा है. जब बच्चे छोटे होते हैं तो वे ग़ुस्सा करते हैं तो माता पिता उन पर इतना ध्यान नहीं देते हैं, कभी कभी तो वे हँसी में भी बच्चों के ग़ुस्से को टाल देते हैं. अगर आप भी अपने बच्चों की इस आदत को नज़रअंदाज़ कर देते हैं तो आप बहुत ग़लत कर रहे हैं, छोटी उम्र में ही छोटी छोटी बातों में ग़ुस्सा करना उनके व्यवहार को बढ़ाता है.

मोबाइल की लत

आजकल बच्चे मोबाइल फ़ोन में इतने ज़्यादा लगी रहते हैं कि उन्हें किसी ओर से कोई मतलब ही नहीं रहता है, इतना ही नहीं मोबाइल की लत ने बच्चों का बहार घूमना फिरना खेलना कूदना भी बंद कर दिया है यहाँ तक कि बच्चे किसी भी प्रकार की फंक्शन में भी जाना आज कल पसंद नहीं करते हैं. मोबाइल फ़ोन नहीं कहीं न कहीं बच्चों को अकेला रहना पसंद करवा दिया है. अगर आपका बच्चा भी हद से ज़्यादा मोबाइल चलाता है तो आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए और अपने बच्चों को वहाँ लोगों के साथ घुमाना फिर आना चाहिए जैसे कि वह बाहरी दुनिया को जान सके और लोगों से मिलना जुलना सीख सके.

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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