इन 5 आदतों वाला लड़का बन सकता है ‘परफेक्ट दामाद’, नंबर 3 हर लड़की के घरवालों की पसंद

शादी के बाद लड़कियों के माता-पिता सबसे ज़्यादा जिस चीज़ की उम्मीद करते हैं, वो है एक समझदार और जिम्मेदार दामाद। अगर आप सोच रहे हैं कि अच्छा दामाद कौन होता है, तो ये 5 बातें जरूर जान लीजिए। ये आदतें हर रिश्ते को मजबूत बनाती हैं।

हर मां-बाप की चाह होती है कि उनकी बेटी के जीवनसाथी में अच्छे संस्कार, समझदारी और आदरभाव हो। लेकिन सिर्फ पैसे या पढ़ाई से कोई अच्छा दामाद नहीं बनता, उसके बर्ताव और सोच में जो अपनापन होता है, वही असली पहचान होती है। आज हम आपको बताएंगे कि एक आदर्श दामाद (Perfect Son in Law) में कौन-कौन सी खूबियां होनी चाहिए।

शादी एक ऐसा रिश्ता है जो दो परिवारों को जोड़ता है। इसमें सिर्फ पति-पत्नी ही नहीं, बल्कि दामाद और ससुराल वालों के रिश्ते भी बहुत अहम होते हैं। एक अच्छा दामाद वही होता है जो ससुराल को सिर्फ ‘बीवी का घर’ नहीं, बल्कि खुद का परिवार माने। उसमें जिम्मेदारी का एहसास हो, सास-ससुर का सम्मान करे और मुश्किल समय में बेटी का साथ निभाए। आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में ऐसा दामाद मिलना भले ही मुश्किल लगता हो, लेकिन नामुमकिन नहीं है।

सास-ससुर से करे अपनापन जैसा व्यवहार

एक अच्छे दामाद की सबसे पहली पहचान यही होती है कि वह अपनी पत्नी के माता-पिता से भी उतना ही प्यार और सम्मान करे जितना अपने मां-बाप से करता है। वह उन्हें ‘औपचारिक रिश्ता’ नहीं मानता, बल्कि परिवार का हिस्सा समझता है। ऐसे में जब वो अपने ससुराल आए, तो बातचीत करे, हालचाल ले और छोटे-मोटे कामों में हाथ भी बंटाए। इस व्यवहार से न केवल उसका मान बढ़ता है बल्कि रिश्ता भी मजबूत होता है।

पत्नी का हर हाल में दे साथ, ना हो ‘सिर्फ बेटा’

अच्छा दामाद वही होता है जो अपनी पत्नी को हर परिस्थिति में सपोर्ट करे, चाहे वो करियर हो या परिवार की जिम्मेदारियां। साथ ही, वह यह भी समझता है कि शादी के बाद लड़की अपने माता-पिता से दूर हो जाती है, इसलिए उसका दायित्व है कि वो उसे कभी अकेलापन महसूस न होने दे। ऐसे दामाद का रिश्ता ससुराल वालों के साथ खुद-ब-खुद आत्मीय बन जाता है।

जिम्मेदार और समझदार हो, घमंड न हो

कई बार देखा जाता है कि कुछ दामाद शादी के बाद खुद को ‘खास’ समझने लगते हैं। जबकि सच्चा दामाद वही होता है जो जमीन से जुड़ा हो, बातों में नम्रता हो और बड़ों की बात सुने-समझे। ऐसी आदतें न सिर्फ रिश्तों को मधुर बनाती हैं बल्कि परिवार में इज्जत भी बढ़ाती हैं।

समय-समय पर रखे संपर्क में

सिर्फ त्योहारों पर या औपचारिक मौकों पर बात करना काफी नहीं होता। अगर दामाद समय-समय पर ससुराल का हालचाल ले, तो रिश्ते में अपनापन बना रहता है। यह छोटी-सी आदत ससुरालवालों को ये एहसास दिलाती है कि उनका भी कोई पूछने वाला है।

छोटी-छोटी बातों का रखे ध्यान

अच्छा दामाद वही होता है जो अपने ससुराल की छोटी-छोटी बातों को भी नोटिस करे, जैसे सास-ससुर की तबीयत, घर के खर्चे, त्योहारों की तैयारी आदि। भले ही वह घर में ना रह रहा हो, लेकिन उसकी सोच और परवाह से सभी खुश रहते हैं।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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