आजकल इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और फेसबुक पर हर किसी की प्रोफाइल एक फैशन स्टेटमेंट बन गई है। हर फोटो में स्टाइल, हर कैप्शन में एटीट्यूड, और हर वीडियो में ट्रेंड का तड़का, पर इस सबके बीच हम ये भूल जाते हैं कि असली “मैं कौन हूँ?” क्या मैं वही हूँ जो रील्स में दिखता हूँ या जो ट्रेंडिंग ऑडियो पर थिरकता हूँ?
Cool दिखना गलत नहीं है, लेकिन जब ये आपकी सोच, पसंद और आत्मसम्मान को कंट्रोल करने लगे, तो रुककर सोचना ज़रूरी हो जाता है। आज का युवा सिर्फ सोशल मीडिया पर फिट बैठने के लिए खुद को बदलने लगा है। ऐसे में सवाल उठता है क्या हम कूल दिखने की होड़ में खुद से दूर हो रहे हैं?
सोशल मीडिया का दबाव और ‘पर्फेक्ट’ दिखने की चाह
सोशल मीडिया पर हर कोई बेस्ट वर्जन दिखाता है। यहां आप किसी की फेक स्माइल, फिल्टर्ड फोटो या प्लान्ड लाइफ को देखकर खुद को कम आंकने लगते हैं। इससे सेल्फ-डाउट, एंग्जायटी, और लो सेल्फ एस्टीम जैसी मानसिक स्थितियां बढ़ने लगती हैं।
2023 में हुए एक सर्वे के मुताबिक, 70% युवा खुद को सोशल मीडिया पर दूसरों से तुलना करके ही जज करते हैं। उनके लिए ‘कूल’ दिखना जरूरी बन गया है, चाहे वो उनके व्यक्तित्व से मेल खाए या नहीं।
अपनी असली पहचान को समझो, दिखावे से नहीं
अगर आप हमेशा दूसरों के हिसाब से खुद को बदलते रहेंगे, तो आप कभी ये नहीं जान पाएंगे कि आप खुद क्या हैं। कूल दिखना सिर्फ कपड़ों, हेयरस्टाइल या ब्रांडेड चीजों से नहीं आता असली कूलनेस होती है कॉन्फिडेंस, ओरिजिनालिटी, और सेल्फ अवेरनेस में।
असली पहचान का मतलब है अपने अंदर झांकना, अपनी खूबियों और खामियों को पहचानना और उन्हें अपनाना। आज की सबसे बड़ी जरूरत है खुद से जुड़ना, खुद को समझना और अपनी बात को डंके की चोट पर कहना।
बदलते ट्रेंड्स में खुद को कैसे बचाएं खोने से?
ट्रेंड फॉलो करें लेकिन अंधे होकर नहीं
अगर कोई फैशन या आइडिया आपको अच्छा लगे, तभी उसे अपनाएं। सिर्फ इसलिए कि वो वायरल है, खुद को मत बदलो।
स्क्रॉलिंग कम, लिविंग ज्यादा
सोशल मीडिया पर कम वक्त बिताएं, असल दुनिया में ज़्यादा जिएं। नए दोस्त बनाएं, किताबें पढ़ें, एक्टिविटीज़ करें यही आपकी असली पहचान को मजबूत करेगा।
असली दोस्त और सपोर्ट सिस्टम रखें
ऐसे लोगों के साथ रहें जो आपकी कूलनेस नहीं, आपकी सच्चाई को पसंद करें।





