Pet Friendly Diwali : इस दिवाली अपनी खुशियों के साथ रखें सबकी सुरक्षा का भी खयाल, जानिए क्या है ‘पशु मित्र दिवाली’

त्योहार पर अपनी खुशियों के साथ दूसरों की सेहत और सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए। आजकल पटाखों की आवाज़ और धुएँ से हम अपने घरों के छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को तो बचाने की कोशिश करते ही हैं। लेकिन अगर इनके साथ पशुओं को भी अपनी फिक्र वाली लिस्ट में शामिल कर लिया जाए तो इस त्योहार की चमक दुगनी हो जाएगी। और न सिर्फ अपने घर में पलने वाले जानवर, बल्कि सड़कों पर खुले घूमने वाले जानवरों की सुरक्षा को लेकर भी जागरूक रहना हमारी संवेदनशीलता का पर्याय है। इसीलिए दिवाली या कोई भी अन्य त्योहार मनाते समय इन मूक जीवों के बारे में भी एक बार सोच लेना चाहिए कि कहीं हमारी खुशी मनाने का तरीका उन्हें परेशानी तो नहीं पहुंचा रहा है।

Pet Friendly Diwali

Pet Friendly Diwali : दिवाली का त्योहार रौशनी, खुशियों और उल्लास का प्रतीक है। लेकिन ये खुशियां सबके लिए समान होनी चाहिए। अगर किसी को हमारे त्योहार मनाने के कारण कोई तकलीफ़ हो तो फिर वो खुशी बेमक़सद है। इसी सिद्धांत के साथ इन दिनों ‘पशु-मित्र दिवाली’ (Pet-Friendly Diwali) को लेकर जागरूकता बढ़ रह है। बहुत सारे पशु प्रेमियों, एनजीओ और पर्यावरणविदों द्वारा ‘पशु-मित्र दिवाली’ की पहल की जा रही है, जो एक शांति और संवेदनशीलता से भरी दिवाली को बढ़ावा देता है।

बीते कुछ वर्षों से यह बात सामने आई है कि पटाखों के शोर और प्रदूषण से केवल इंसानों को ही नहीं, बल्कि पशुओं को भी भारी कष्ट का सामना करना पड़ता है। पटाखों के धमाके और उनसे निकलने वाले हानिकारक धुएं का प्रभाव जानवरों पर ज्यादा गंभीर होता है क्योंकि उनकी सुनने और सूंघने की क्षमता आमतौर पर इंसानों से ज्यादा होती है। इसीलिए वो प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और दिवाली पर उन्हें तकलीफ़ पहुंचाएं बिना उत्सव मनाने के तरीके को ‘पेट फ्रेंडली दिवाली’ कहा जाता है।

Pet friendly दिवाली

‘पशु-मित्र दिवाली’ में पशुओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य को भी तरजीह दी जाती है। ये एक संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण पहल है, जो त्योहार को सभी के लिए खुशियों का अवसर बनाती है। फिर चाहे वो इंसान हो या जानवर। साथ ही उत्सव मनाने का एक नया दृष्टिकोण है, जो हमें प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति अपने कर्तव्यों का एहसास कराता है। इस अवधारणा के तहत लोग पटाखों का उपयोग कम करते हैं या पूरी तरह से छोड़ देते हैं ताकि दिवाली का उत्सव शांति और पशुओं के प्रति संवेदनशीलता के साथ मनाया जा सके। पटाखों का शोर और उनसे होने वाला प्रदूषण न सिर्फ मनुष्य बल्कि पशुओं के लिए भी कष्टदायक होता है।

PETA India ने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि दिवाली जैसे त्योहार पर पटाखों का उपयोग न किया जाए क्योंकि इसका पशुओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पीटा के द्वारा दिए गए दिशानिर्देश और सुझाव पशु-मित्र दिवाली के समर्थन में कार्य कर रहे हैं। वहीं एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) भी दिवाली के समय पशुओं के प्रति संवेदनशीलता की अपील करता है। उनके द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियानों में बताया गया है कि कैसे पटाखों से पशुओं को नुकसान पहुंचता है। ब्लू क्रॉस इंडिया भी ऐसी संस्था है जो दिवाली और अन्य त्योहारों पर पशुओं की देखभाल और सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने में जुटी है।

पशु-मित्र दिवाली का महत्व

ज़्यादातर जानवरों के कानों की सुनने की क्षमता इंसानों से अधिक होती है, इसलिए पटाखों का शोर उनके लिए अधिक परेशानी का सबब होता है। कई बार इस शोर की वजह से पालतू और सड़कों पर रहने वाले पशु तनाव, भय, और घबराहट महसूस करते हैं। वहीं पटाखों से निकलने वाला धुआँ और प्रदूषक तत्व न केवल वातावरण को दूषित करते हैं, बल्कि इंसानों और पशुओं दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इससे जानवरों को सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और अन्य तरह की समस्याएं हो सकती हैं। कई बार पटाखों की वजह से पशुओं के जलने या घायल होने की घटनाएं भी सामने आते हैं। पशु-मित्र दिवाली के माध्यम से लोग ऐसे खतरों को कम किया जा सकता है।

पशु-मित्र दिवाली मनाने के तरीके

दीये और मोमबत्तियों से सजावट : घरों को सजाने के लिए पटाखों की बजाय दीये, मोमबत्तियाँ और एलईडी लाइट्स का प्रयोग करें। यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए बल्कि पशुओं के लिए भी सुरक्षित विकल्प हैं।
पशु आश्रयों में समय बिताना : लोग अपने परिवार रिश्तेदारों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी प्यार और देखभाल का समय निकाल सकते हैं। अगर आपको पशुओं से प्रेम है तो आप पास के पशु आश्रय में जा सकते हैं या जरूरतमंद पशुओं की मदद कर सकते हैं।
सोशल मीडिया पर जागरूकता : सोशल मीडिया के माध्यम से लोग पशु-मित्र दिवाली के कॉन्सेप्ट को प्रमोट कर रहे हैं और दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं कि वे अपने पालतू जानवरों के साथ सड़कों पर रहने वाले जानवरों की सुरक्षा का भी ध्यान रखें।

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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