भिंडी यानी लेडी फिंगर भारतीय रसोई की आम सब्ज़ी है, बच्चों को यह सब्ज़ी सबसे ज़्यादा पसंद होती है। अगर आपने भी अपने घर में अपने बच्चों की मनपसंद सब्ज़ी यानी भिंडी का पौधा लगाया है, लेकिन पौधे में भिंडी छोटी-छोटी निकल रही है या फिर भिंडी की ग्रोथ अच्छे से नहीं हो पा रही है, तो इसका मतलब है कि आपकी पूरी मेहनत बर्बाद हो रही है। यह समस्या अक्सर मिट्टी की उर्वरता घटने, पोषण की कमी या ग़लत सिंचाई के कारण होती है।
अगर आप भी अपने गार्डन या फिर खेत में भिंडी की कमज़ोर ग्रोथ से परेशान है, तो अब परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। सिर्फ़ दो प्राकृतिक खाद या चीज़ों को मिट्टी में मिलाकर कुछ ही दिनों में आपको फ़र्क साफ़ नज़र आएगा। यह घरेलू उपाय न केवल लागत कम करते हैं बल्कि मिट्टी को भी सेहतमंद बनाते हैं।
भिंडी के पौधों को फिर से ज़िंदा करने वाला देसी फार्मूला
गोबर की खाद और नीम खली
भिंडी के अच्छे उत्पादन के लिए सबसे पहले ज़रूरी है मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना। इसके लिए गोबर की सड़ी हुई खाद में नीम खली (Neem Cake) मिलाकर मिट्टी में मिलाएं। नीम खली पौधों को दीमक, फंगस और कीड़ों से बचाती है और गोबर खाद मिट्टी में जैविक पोषक तत्वों की आपूर्ति करती है।
कैसे करें इस्तेमाल
1 पौधे के लिए 500 ग्राम गोबर खाद और 50 ग्राम नीम खली मिलाएं। इसे पौधे की जड़ के पास चारों तरफ मिट्टी में हल्के से मिला दें। हर 15 दिन में एक बार दोहराएं।
केले का छिलका और छाछ का स्प्रे
केले का छिलका पौधों के लिए पोटाशियम का बेहतरीन स्रोत है, जो फल और सब्जी के विकास में अहम होता है। वहीं छाछ मिट्टी के pH को संतुलित करने और फंगस को मारने में मदद करता है।
कैसे करें इस्तेमाल
2 केले के छिलकों को बारीक काटकर 1 लीटर पानी में भिगो दें। इसमें 100 ml छाछ मिलाएं और 24 घंटे छोड़ दें। छानकर इस घोल को स्प्रे की बोतल में भरें और हफ्ते में 1 बार पौधे पर छिड़काव करें।
नियमित देखभाल और सही सिंचाई भी है जरूरी
सिर्फ खाद देना ही काफी नहीं, पौधे की देखभाल भी ज़रूरी है। भिंडी के पौधों को रोजाना हल्की सिंचाई करें लेकिन पानी जमा न होने दें। ज्यादा पानी से जड़ सड़ सकती है। साथ ही पौधों के आस-पास की खरपतवार समय-समय पर हटाते रहें ताकि पोषण की चोरी न हो।





