Polymath: सीखने की वो ललक जो इंसान को असाधारण बना देती है, जानिए कौन होते हैं पॉलीमैथ, इनके गुण और विशेषताएं

पॉलीमैथ बनना सिर्फ बहुत-सा ज्ञान जमा करना नहीं है..बल्कि ये दुनिया को कई नजरियों से देखने, समझने और अपनी सोच से कुछ नया देने का तरीका है। ये चाह सिर्फ नौकरी या करियर में आगे बढ़ने के लिए नहीं होती बल्कि इससे मन को संतुलन मिलता है, जिज्ञासा शांत होती है और समाज के लिए कुछ बेहतर सोचने की दृष्टि भी मिलती है।

Polymath The Multitalented Minds : क्या आपने कभी किसी ऐसे व्यक्ति को देखा है जिसे जानने की, सीखने की, ज्ञान पाने की ऐसी ललक हो जिसमें वो अपने आप को भूल जाए। क्या आप किसी ऐसे विलक्षण व्यक्ति के जानते हैं जो कला, साहित्य, इतिहास, दर्शन, संगीत आदि क्षेत्रों में महारत रखता हो। अगर ऐसा है तो आप एक पॉलीमैथ से मिले हैं।

पॉलीमैथ..यानी बहुविद्या विशेषज्ञ। ये ऐसे दुर्लभ लोग हैं जो किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहते। अगर आप कुछ उदाहरण से समझना चाहें तो महान चित्रकार लियोनार्डो दा विंची ऐसे ही अद्वितीय व्यक्ति थे जिन्होंने चित्रकला से लेकर इंजीनियरिंग तक हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी। आधुनिक युग में भी ऐसे लोग मौजूद हैं, जो अपनी जिज्ञासा और समर्पण से कई विधाओं में पारंगत हो जाते हैं।

कौन होते हैं पॉलीमैथ

“एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय” आपने ये दोहा सुना होगा। इससका अर्थ है कि एक काम को पूरा करने से अन्य काम भी आसानी से पूरे हो जाते हैं, जबकि बहुत से काम एक साथ करने से कोई भी काम पूरा नहीं हो पाता। कवि रहीम दास जी ये बात लिख गए हैं और सामान्य परिस्थितियों में ये बात ज़्यादातर सच भी साबित होती है।

लेकिन आज हम न तो सामान्य परिस्थितियों की बात कर रहे हैं..न सामान्य व्यक्तियों की। हम बात कर रहे हैं पॉलीमैथ की।’पॉलीमैथ’ उस व्यक्ति को कहा जाता है जो ज्ञान के अनेक क्षेत्रों में दक्षता और गहराई रखता है। यह शब्द ग्रीक भाषा के “poly” (अर्थात ‘अनेक’) और “mathēs” (अर्थात ‘सीखने वाला’ या ‘विद्वान’) से आया है। इतिहास में लिओनार्डो द विंची, रवींद्रनाथ ठाकुर, अरस्तू और अल-बीरूनी जैसे व्यक्तित्वों को पॉलीमैथ कहा गया। इन सबने किसी एक विषय में नहीं, बल्कि कई अलग-अलग क्षेत्रों में गहन योगदान दिया है।

पॉलीमैथ बनने की चाह क्या होती है

अगर कोई व्यक्ति ये चाहता है कि वो सिर्फ एक ही क्षेत्र में विशेषज्ञ नहीं चाहता बलकि विविध विषयों में निपुणता प्राप्त करने की आकांक्षा रखता है तो ये पॉलीमैथ बनने की चाह का है। ये चाह कई बार बचपन की जिज्ञासाओं से जन्म लेती है जब व्यक्ति अलग-अलग चीजों को जानने, समझने और उन्हें एक-दूसरे से जोड़ने में आनंद अनुभव करता है। मनोविज्ञान के अनुसार पॉलीमैथ बनने की चाह उन लोगों में अधिक पाई जाती है जिनमें ये विशेषताएं होती हैं:

1. कॉग्निटिव फ्लेक्सिबिलिटी (Cognitive Flexibility) : मानसिक लचीलापन जिससे व्यक्ति नई-नई जानकारियों को जल्दी आत्मसात कर लेता है।
2. ओपननेस टू एक्सपीरियंस (Openness to Experience) : यह व्यक्तित्व गुण बताता है कि व्यक्ति नई चीजें जानने, अनुभव करने और विचारों को अपनाने के लिए कितना खुला है।
3. इंट्रिंसिक मोटिवेशन (Intrinsic Motivation) : जब व्यक्ति सिर्फ नाम या पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि सीखने की आत्मिक खुशी के लिए ज्ञान प्राप्त करता है।
4. मेटाकॉग्निशन (Metacognition) : इसका तात्पर्य है “सोचने की प्रक्रिया पर सोच”। यह पॉलीमैथ बनने में अहम भूमिका निभाती है क्योंकि यह व्यक्ति को खुद की सीखने की शैली को समझने और सुधारने की क्षमता देती है।

क्या आज के युग में पॉलीमैथ बनना संभव है

विशेषज्ञों का कहना है कि आज का युग इंटरनेट, ओपन एजुकेशन और मल्टी-डिसिप्लिनरी शिक्षा का है। इसलिए पॉलीमैथ बनना अब पहले से कहीं अधिक संभव हो गया है। Harvard Business Review के अनुसार..आज के दौर में ‘T-shaped’ व्यक्तित्व को कॉर्पोरेट जगत में विशेष महत्व दिया जा रहा है। ये ऐसे लोग होते हैं जिनमें किसी एक क्षेत्र में गहराई हो और अन्य क्षेत्रों की व्यापक समझ हो। इसलिए अब ऐसी संभावनाएं बढ़ने लगी हैं और अगर अगली बार आप भी किसी ऐसे व्यक्ति को देखें तो समझ जाइएगा कि आप किसी पॉलीमैथ से मिले हैं।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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