प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखा जाने वाला एक पवित्र उपवास है। ख़ास बात यह है कि जब ये व्रत शुक्रवार को पड़ता है तो इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। साथ ही साथ शुक्रवार के दिन होने से इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है, ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और शिव पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है।
25 अप्रैल 2025 यानी आज शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat)है, जो ख़ासतौर पर शिव भक्तों के लिए बेहद शुभ दिन माना जाता है। इसी दिन शाम के समय सूर्यास्त के बाद ही यानी प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा अर्चना करना श्रेष्ठ माना जाता है। भक्त व्रत रखते हैं शिवलिंग पर जल दो बिल पत्र और धूप दीप अर्पित करते हैं। साथ ही शिव पार्वती की कथा पढ़ने से जीवन में नकारात्मकता ख़त्म होती है और सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।

प्रदोष व्रत 2025 तिथि और पूजा विधि
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 मार्च 2025 को सुबह 8:13 बजे शुरू होगी और 12 मार्च को सुबह 9:11 बजे समाप्त होगी। प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त 11 मार्च को शाम 6:27 बजे से रात 8:53 बजे तक रहेगा।
प्रदोष व्रत 2025 पूजा विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद और पंचामृत से अभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, फूल, धूप-दीप अर्पित करें।
- ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।
- शिव-गौरी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
- अगले दिन व्रत का पारण कर जरूरतमंदों को दान दें।
प्रदोष व्रत कथा
प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार, अंबापुर गांव की एक ब्राह्मणी ने दो अनाथ राजकुमारों की सेवा की। ऋषि शांडिल्य की सलाह पर उन्होंने प्रदोष व्रत किया, जिससे राजकुमारों को उनका खोया हुआ राज्य वापस मिला और ब्राह्मणी को सम्मान प्राप्त हुआ।
प्रदोष व्रत का लाभ
- शिव भक्ति से मन की शांति और आत्मिक उन्नति होती है।
- दान-पुण्य से समाज में सम्मान और सहयोग मिलता है।
- व्रत से स्वास्थ्य लाभ, मानसिक शांति और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।