Premanand Ji Maharaj: आजकल हर दिन किसी न किसी कि तलाक़ की ख़बरें सुनने को मिल ही जाती है। चाहे वह क्रिकेटर हो या फिर कोई बॉलीवुड स्टार ही क्यों न हो, कई सेलिब्रिटी अपने रिश्तों को बचाने में नाकाम रहे हैं, और यही कारण है कि शादी के कुछ साल बाद ही वे तलाक़ ले लेते हैं। इन मामलों को देखते हुए प्रेमानंद जी महाराज ने भी कुछ बातें खुलकर कही है। उनका एक वीडियो भी इस वक़्त सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो रहा है।
हालाँकि , महाराज जी की बातें आजकल के युवाओं को थोड़ी चुभ सकती है। महाराज जी ने बताया कि आजकल रिश्ते जल्दी क्यों टूट जाते हैं, महाराज जी का दृष्टिकोण आज के ज़माने और मॉडर्न सोच से थोड़ा अलग है। वे बताते हैं कि रिश्तों में समझौता, विश्वास, प्यार, सम्मान, और सहनशीलता का कितना महत्व होता है। चलिए फिर इसी के साथ जान लेते हैं, कि प्रेमानंद जी महाराज ने तलाक़ की असली कारणों के बारे में क्या कहा और उन्होंने रिश्तों को मज़बूत बनाने के लिए क्या सुझाव दिया।

तलाक के बढ़ते मामलों का असली कारण क्या है ?
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं, की आजकल गर्लफ़्रेंड-बॉयफ़्रेंड और लिव इन रिलेशनशिप का कल्चर तलाक़ के बढ़ते कारणों में से एक हैं। उन्होंने बताया कि जब तक यह कल्चर चलता रहेगा, तलाक़ की संख्या भी बढ़ती रहेगी। उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि आज के युवा शादी से पहले ही रिश्तों में बहुत आज़ादी ले लेते हैं, जिससे शादी के बाद उन्हें एक दूसरे के साथ समझौता करने और सहनशीलता दिखाने में काफ़ी परेशानी होती है।
शादी से पहले की आज़ादी से रिश्ते बनते हैं बोरिंग
प्रेमानंद जी महाराज ने एक उदाहरण पेश करते हुए कहा, मान लीजिए कि अगर एक व्यक्ति को होटल में महँगा खाना पसंद आ जाए, तो वह अपने घर के साधारण खाने को कैसे अच्छा मानेगा? उन्होंने समझाते हुए कहा कि जो लोग शादी से पहले ही रिश्तों में हद से ज़्यादा आज़ादी ले लेते हैं, फिर शादी के बाद उन्हें रिश्तों में बँधना पसंद नहीं होता है, उन्हें शादी की बात रिश्तों में सादगी और ज़िम्मेदारियाँ पसंद नहीं होती है।
रिश्तों की अहमियत समझें, वरना न घर के रहेंगे न घाट के
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं, आज कल जिस तरह से लोग रिश्तों को पल पल में बदलते हैं, जैसे की एक के बाद एक गर्लफ़्रेंड या बॉयफ़्रेंड बनाते हैं, ऐसे में ये लोग रिश्तों की असली अहमियत कभी नहीं समझ पाते। ऐसे लोग कहीं के भी नहीं रहते हैं, आपने भी कभी न कभी ये कहावत ज़रूर सुनी होगी धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का। इसका मतलब है कि आजकल लोग न तो शादीशुदा ज़िदगी को संभाल सकते हैं, न ही अपने जीवनसाथी के साथ ख़ुश रह सकते हैं।
रिश्ते मज़ाक नहीं, ज़िम्मेदारी हैं: प्रेमानंद जी महाराज
प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी कहा, कि रिश्ते कोई मनोरंजन या आज़ादी का साधन नहीं है, ऐसा नहीं हैं की आज किसी के साथ अच्छा लग रहा है तो उसके साथ रह लेते हैं, कल को किसी और के साथ अच्छा लग रहा है तो उसके साथ रह लेते हैं। रिश्तों में सच्चाई, विश्वास और सम्मान का होना बहुत ज़रूरी होता है, उन्होंने लोगों से कहा की ये रिश्तों को गंभीरता से लें और उन्हें बनाए रखने के लिए मेहनत करें।