मुसीबत में ही क्यों याद आते हैं भगवान? क्या यह स्वार्थ नहीं, प्रेमानंद जी महाराज से जानें सच

Premanand Ji Maharaj: अक्सर कहा जाता है कि हम भगवान को तब ही याद करते हैं जब हम मुश्किल में होते हैं, लेकिन क्या यह सच में स्वार्थ है या भक्ति का एक रूप? प्रेमानंद जी महाराज ने इस सवाल का ऐसा जवाब दिया, जो न सिर्फ दिल छू लेने वाला है, बल्कि भक्ति का असली अर्थ भी समझा देता है।

Premanand Ji Maharaj: जीवन में सुख दुख का आना जाना लगा रहता है। सुख और दुख दोनों ही जीवन में बहुत ज़रूरी होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि हम भगवान को सिर्फ़ अपने दुख के समय में ही याद करते हैं, सुख में हम भगवान को भूल जाते हैं। क्या हमारा ऐसा व्यवहार हमें भगवान के प्रति स्वार्थी बना रहा है? प्रेमानंद जी महाराज ने इस गहरे सवाल पर एक ऐसा विचार साझा किया है।

आए दिन सोशल मीडिया पर प्रेमानंद जी महाराज की कोई ना कोई वीडियो वायरल होते रहते हैं, उनका प्रवचन सुनने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं, जो श्रद्धालु प्रवचन सुनने के लिए साक्षात नहीं पहुँच पाते हैं वे घर पर बैठकर ही प्रेमानंद जी महाराज के सभी वीडियो देखते हैं और अपने मन में चल रही उलझनों का समाधान पाते हैं। चलिए जानते है कि प्रेमानंद जी महाराज ने इस बात को लेकर क्या कहा है।

प्रेमानंद जी महाराज से जानें सच

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं, कि जब व्यक्ति के जीवन में कोई भी बुरा समय आए तो घबराने और डरने की आवश्यकता नहीं है। इस स्थिति को भगवान की मर्ज़ी समझकर स्वीकारना चाहिए, और भगवान पर इस बात का विश्वास रखना चाहिए कि अगर भगवान ने आज दुख दिया है तो कल सुख भी ज़रूर देंगे। इसके अलावा जब जीवन में सुख की प्राप्ति होती है, तो इसे भगवान का आशीर्वाद और दया समझना चाहिए। इसलिए कहा जाता है कि सुख दुःख जीवन का एक हिस्सा है, अगर आज सुख है तो कल दुख भी होगा, और अगर आज दुख है तो कल सुख भी होगा।

मुसीबत में ही क्यों याद आते हैं भगवान?

अक्सर कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है, अगर हम मुश्किल वक़्त में भगवान को याद करते हैं क्या हम स्वार्थी हैं, इसका जवाब देते हुए प्रेमानंद जी महाराज ने कहा, कि जब भी व्यक्ति के जीवन में मुश्किल आती है, तो कई बार इतनी बड़ी होती है कि भगवान के अलावा कोई भी काम नहीं आता है। ऐसे में भगवान ही हमारा एकमात्र सहारा होते हैं। इसलिए बुरे समय या फिर दुखों में भगवान को याद करना ग़लत नहीं है, लेकिन उन्होंने एक बात बड़े ही स्पष्ट तरीक़े से कही है, कि भगवान को कभी भी भूलना नहीं चाहिए, रोज़ाना 10 मिनट हमें भगवान के लिए ज़रूरी समय निकालना चाहिए। भगवान का जाप करना चाहिए।


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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