आज का दौर बदल चुका है। पढ़े-लिखे, समझदार और आत्मनिर्भर कपल्स भी अब अपने रिश्तों को संभाल नहीं पा रहे। सोशल मीडिया पर शादी के वीडियो जितनी तेजी से वायरल होते हैं, उतनी ही तेजी से तलाक की खबरें भी सामने आती हैं।
क्या वजह है कि जहां पहले रिश्ते पूरी उम्र निभाए जाते थे, वहीं अब कुछ महीनों में ही खत्म हो जाते हैं? इसी सवाल पर जवाब दिया है प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) ने, जिनके प्रवचन लाखों लोग सुनते हैं और रिश्तों को लेकर उनकी राय को लोग बेहद गंभीरता से लेते हैं।

प्रेमानंद महाराज के मुताबिक रिश्ते टूटने की सबसे बड़ी वजह क्या है?
प्रेमानंद महाराज का साफ कहना है कि आज की पीढ़ी के लोग केवल रिश्ते चाहते हैं, जिम्मेदारी नहीं। उनका मानना है कि लोग शादी को सिर्फ एक इमोशनल सपोर्ट सिस्टम की तरह देखने लगे हैं, जबकि असल में शादी समझदारी, समर्पण और धैर्य की मांग करती है।
महाराज के अनुसार, “लोग अब ‘मैं क्या चाहता हूं’ पर ध्यान देते हैं, ‘साथी को क्या चाहिए’ ये नहीं सोचते।” यही कारण है कि छोटी-छोटी बातों पर इगो क्लैश हो जाते हैं और बात तलाक तक पहुंच जाती है।
वे यह भी कहते हैं कि आजकल के कपल्स में सेक्रिफाइस और टॉलरेंस नाम की चीजें खत्म होती जा रही हैं। हर कोई चाहता है कि सामने वाला बदल जाए, लेकिन खुद में बदलाव लाने की इच्छा नहीं होती।
क्यों नहीं टिक पा रही शादी?
पहले के ज़माने में जहां अरेंज मैरिज में परिवार की भागीदारी ज्यादा होती थी, वहीं लव मैरिज में खुद कपल्स का फैसला होता है। लेकिन दोनों ही मामलों में अब रिश्ते ज्यादा समय तक टिक नहीं पा रहे।
अरेंज मैरिज में अब माता-पिता की भूमिका सिर्फ शादी तय करने तक सीमित रह गई है, और उसके बाद कपल्स खुद संघर्ष करते हैं। वहीं लव मैरिज करने वाले कपल्स सोचते हैं कि वे एक-दूसरे को जानते हैं, लेकिन जब असली जिम्मेदारियों की बारी आती है तो पर्सनैलिटी क्लैश और असहनशीलता सामने आ जाती है।
इसके अलावा, सोशल मीडिया, ज्यादा एक्सपोजर, और तुलना की आदत ने भी रिश्तों को कमजोर बना दिया है। लोग अपने पार्टनर से ज्यादा उम्मीदें रखने लगे हैं, लेकिन उन्हें समझने और स्वीकारने का धैर्य खो दिया है।
समाधान क्या है? रिश्तों को टूटने से कैसे बचाएं?
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि रिश्तों को बचाना है तो सबसे पहले स्वयं में बदलाव लाना होगा। एक-दूसरे को समझने, सुनने और स्वीकार करने की कला सीखनी होगी।
- संवाद बढ़ाएं, हर बात पर चुप्पी रिश्तों को मार देती है।
- सुनने की आदत डालें, सिर्फ अपनी बात न थोपें।
- छोटी बातों को माफ करना सीखें।
- एक-दूसरे को स्पेस और सम्मान दें।