अब न पेस्टिसाइड, न महंगी दवाइयां! सदाबहार के लिए 10 रुपये का देसी नुस्खा करेगा कमाल

सदाबहार के पौधे में बार-बार कीड़े और चींटियों की शिकायत है? तो अब परेशान मत होइए, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है एक ऐसा देसी जुगाड़, जो सिर्फ 10 रुपये में पौधे को फिर से हरा-भरा बना सकता है। जानिए कैसे ये घरेलू नुस्खा बना लोगों की पहली पसंद।

घर के गार्डन में अगर आपने भी सदाबहार का पौधा (Sadabahar Plant) लगाया है, तो आप इस परेशानी से जरूर जूझे होंगे बार-बार मुरझाना, पीले पड़ते पत्ते और मिट्टी में लगातार चलती चींटियों की लाइनें। इन समस्याओं से पौधा न सिर्फ बीमार पड़ता है, बल्कि उसकी ग्रोथ भी रुक जाती है। ज़्यादातर लोग महंगे पेस्टिसाइड्स या मिट्टी बदलने जैसे झंझट वाले उपाय करते हैं, लेकिन इनका असर भी हमेशा लंबा नहीं टिकता।

अब सोशल मीडिया पर एक देसी जुगाड़ धूम मचा रहा है, जिसकी लागत सिर्फ 10 रुपये है और जो इन सारी परेशानियों का एकदम सटीक इलाज साबित हो रहा है। न इसमें कोई केमिकल है, न ज्यादा झंझट। लोग दावा कर रहे हैं कि एक बार अपनाने के बाद न पौधा मुरझाता है, न कीट दोबारा आते हैं। जानिए क्या है ये सस्ता, आसान और असरदार देसी नुस्खा।

10 रुपये का जादुई इलाज

सदाबहार के पौधे में कीड़े-मकोड़े लगना आम बात है, खासकर गर्मी और बारिश के मौसम में। लेकिन हाल ही में वायरल हो रही एक ट्रिक में बताया गया है कि नीम का तेल ही इसका सबसे सस्ता और असरदार उपाय हो सकता है। ये तेल बाजार में 10 रुपये की शीशी में मिल जाता है।

इस्तेमाल का तरीका भी बेहद आसान है, एक चम्मच नीम का तेल एक लीटर पानी में मिलाइए, उसमें थोड़ा सा लिक्विड साबुन डालिए और स्प्रे बोतल में भरकर पत्तों पर छिड़क दीजिए। हफ्ते में दो बार इसका इस्तेमाल करें और देखिए कैसे पौधा न सिर्फ साफ-सुथरा रहेगा बल्कि उसमें नई कोपलें भी आने लगेंगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि नीम में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण मिट्टी में छिपे हानिकारक कीटों को खत्म करते हैं, जिससे पौधा लंबे समय तक स्वस्थ रहता है।

लोग क्यों पसंद कर रहे हैं देसी और सस्ते उपाय?

महंगे पेस्टिसाइड्स और कैमिकल्स जहां पौधों की मिट्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं, वहीं देसी नुस्खे जैसे नीम का तेल, हल्दी या लहसुन का घोल प्राकृतिक होने के साथ-साथ पौधे के विकास में भी सहायक होते हैं।

किसानों और गार्डनिंग एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि सदाबहार जैसे घरेलू पौधों के लिए जैविक समाधान ज्यादा बेहतर होते हैं, क्योंकि इससे मिट्टी की क्वालिटी भी बनी रहती है और पर्यावरण पर भी असर नहीं पड़ता।

सदाबहार का पौधा सेहत का भी साथी है

बहुत लोग नहीं जानते कि सदाबहार सिर्फ एक खूबसूरत पौधा नहीं बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर भी है। आयुर्वेद में इसकी पत्तियों का उपयोग डायबिटीज और घाव भरने के लिए किया जाता रहा है।

ऐसे में अगर पौधा बार-बार मुरझा जाए या कीड़ों से भर जाए तो उसका फायदा नहीं लिया जा सकता। यही वजह है कि नीम का तेल या हल्दी जैसे घरेलू उपाय न सिर्फ सस्ते हैं बल्कि पौधे की औषधीय ताकत को भी बनाए रखते हैं।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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