Pseudologia Fantastica : कहीं आपको भी तो नहीं है झूठ बोलने की बीमारी, जानिए क्या है सूडोलॉजिया फंटास्टिका

जिसे मिथोमेनिया या पैथोलॉजिकल झूठ के रूप में भी जाना जाता है, एक मनोरोग है। झूठ बोलने की इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति बार बार और अकल्पनीय रूप से झूठ बलता है। वो झूठ बोलने के लिए आदतन मजबूर होते हैं और उनका झूठ इतना वास्तविक लगता है कि अक्सर लोग उनपर विश्वास भी कर लेते हैं।

Pseudologia Fantastica

Pseudologia Fantastica : सूडोलॉजिया फंटास्टिका…पढ़ने सुनने में ये कुछ अच्छा सा लगता है न। लेकिन इसके फंटास्टिक नाम पर मत जाइए। ये असल में झूठ बोलने की बीमारी का नाम है। इसका एक नाम Mythomania भी है। यूं तो जीवन में हम सभी कभी न कभी झूठ बोलते ही हैं..लेकिन अगर ये बिना वजह, आदतन हो और इसकी लत लग जाए तो फिर इसे विकार की श्रेणी में रखा जाएगा।

क्या है सूडोलॉजिया फंटास्टिका

सूडोलॉजिया फंटास्टिका, जिसे मिथोमेनिया या पैथोलॉजिकल झूठ के रूप में भी जाना जाता है जोकि एक मनोरोग है। इसे सौ वर्षों से अधिक समय से मान्यता दी गई है। पहली बार 1891 में जर्मन मनोचिकित्सक एंटोन डेलब्रुक (Anton Delbrük) द्वारा इसे वर्णित किया गया। सूडोलॉजिया फंटास्टिका को एक विशिष्ट मनोरोग विकार और व्यक्तित्व विकार के लक्षण दोनों के रूप में अवधारणाबद्ध किया गया है। DSM-5 सिंड्रोम को आत्मकामी, असामाजिक और ऐतिहासिक चरित्र विकृति की एक विशेषता या तथ्यात्मक विकार (अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन, 2013) के एक रूप के रूप में मानता है।

इन कारणों से हो सकता है ये मनोविकार

झूठ बोलने की इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति बार बार और अकल्पनीय रूप से झूठ बलता है। वो झूठ बोलने के लिए आदतन मजबूर होते हैं और उनका झूठ इतना वास्तविक लगता है कि अक्सर लोग उनपर विश्वास भी कर लेते हैं। यही नहीं, एक झूठ को साबित करने के लिए वो उसके समर्थन में और भी कई तरह के झूठ का मायाजाल रच देते हैं। इसकी वजह कुछ मानसिक विकार और पर्सनेलिटी डिसऑर्डर है। इसके पीछे बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर वाले लोग, वो जिनमें हीन भावना है या आत्मसम्मान की कमी है, खुद की भ्रामक छवि रचना चाहते हैं, जिनके साथ बचपन में दुर्व्यवहार हुआ हो या उपेक्षा की गई हो, अवसाद, बाइपोलर डिसऑर्डर सहित कई तरह के कारण हो सकते हैं। ये आदतन झूठ बोलने वाले लोग इतना अधिक झूठ बोलते हैं कि फिर उन्हें इस बात की परवाह भी नहीं रहती कि उनके आसपास वाले या सोशल सर्किल में उनकी क्या छवि बन रही है।

जरुरी है मनोचिकित्सक का परामर्श

पैथोलॉजिकल झूठ अक्सर बिना किसी बाहरी प्रेरणा के होता है। यह अक्सर बचपन में आदतन या बाध्यकारी झूठ के रूप में शुरू होता है और अन्य कई मनोविकारों से जुड़ा हो सकता है। सूडोलॉजिया फंटास्टिका फैंटेसी तथ्य और कल्पना का मिश्रण है जिसमें काल्पनिक घटनाएं और आत्म-प्रशंसक व्यक्तिगत भूमिकाएं शामिल हैं। झूठ बोलने की ये प्रवृत्ति तात्कालिक दबाव या तनाव का नतीजा नहीं होती, बल्कि लगातार चल रही होती है। ऐसे लोगों द्वारा बोला गया झूठ काफी आकर्षक या काल्पनिक होता है। ये झूठ सूडोलॉजिया फंटास्टिका के मरीज़ को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत करते हैं। झूठ में बाहरी प्रेरणा के बजाय आंतरिक (इंट्रासाइकिक) प्रेरणा होती है।इन रोगियों को समझने और उनका आकलन करने में विशेषज्ञ के रूप में मनोचिकित्सक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है और ऐसे किसी भी व्यक्ति को मनोचिकित्सक या एक्सपर्ट के पास ले जाना चाहिए।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं। ऐसी मन:स्थिति वाले लोगों के लिए विशेषज्ञ की सलाह अपेक्षित है।)

 

 


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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