राजस्थान का यह अनोखा गांव, जहां नहीं है एक भी पक्का घर, सर्दियों में घूमने के लिए रहेगा बेस्ट

Travel: अगर आप राजस्थान की यात्रा का प्लान बना रहे हैं और सर्दियों में घूमने के लिए एक अनोखी जगह तलाश रहे हैं, तो देवमाली गांव आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह गांव अपनी संस्कृति, परंपराओं और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।

भावना चौबे
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Travel: अक्सर लोग शहर की भागदौड़ से दूर कुछ पल शांति के बिताना पसंद करते हैं। जब कभी भी शांति की बात सामने आती है तो गांव का ध्यान हमें जरूर आता है। गांव एक ऐसी जगह होती है जहां का वातावरण बहुत ही शांत होता है। ऐसा ही एक गांव राजस्थान में भी है जहां आप शहर की भागदौड़ से दूर कुछ पल सुकून के बिता सकते हैं।

राजस्थान में केवल अपनी ऐतिहासिक किलों और महलों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के कुछ छोटे गांव भी बेहद आकर्षक और खूबसूरत है। ऐसे ही एक गांव का नाम है देवमाली जो अपनी सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यह गांव अपनी अद्भुत वास्तुकला हरे भरे वातावरण और शांतिपूर्ण माहौल के कारण पर्यटकों के बीच एक खास आकर्षण बन चुका है। यदि आप राजस्थान की भीड़भाड़ से दूर एक अलग अनुभव चाहते हैं, तो देवमाली गांव की सैर करना आपके लिए बहुत ही शानदार अनुभव हो सकता है। यहां की परंपराएं स्थानीय जीवन शैली और खूबसूरत दृश्य निश्चित रूप से आपको मंत्र मुग्ध कर देंगे।

देवमाली गांव

अगर आप राजस्थान की यात्रा पर जाने की योजना बना रहे हैं, तो ब्यावर जिले में स्थित देवमाली गांव एक अनोखा और शांति से भरा हुआ स्थान है, जिसे जरुर विजिट करना चाहिए। इस गांव की खासियत यह है कि यहां के घर मिट्टी से बने होते हैं और छप्पर लगे होते हैं, जबकि मंदिर और सरकारी भवन ही पक्के होते हैं।

देवमाली गांव की एक और दिलचस्प बात यह है, कि यहां के लोग मांसाहारी भोजन नहीं खाते हैं और शराब से दूर रहते हैं। यह गांव अपने सादगी और शांति के लिए प्रसिद्ध है, और सबसे ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि, यहां अब तक कोई चोरी भी नहीं हुई है, जो उसे और भी खास बनाता है।

सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण की मिसाल

देवमाली गांव की एक और खास बात यह है कि यहां लगभग 3000 बीघा जमीन को भगवान नारायण को समर्पित किया गया है। यहां के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं से गहरे जुड़े हुए हैं और इन्हें सख्ती से पालन करते हैं।

इस गांव में प्राचीन संस्कृतियों के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का भी खास ख्याल रखा जाता है। जैसे यहां पर केरोसिन और नीम की लकड़ी जलाने पर प्रतिबंध है ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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