रसमलाई को कहा जाता है ‘सबसे हेल्दी मिठाई’, हर एक बाइट में छुपा है इतिहास, सेहत और स्वाद!

दो नाम से मिलकर बना यह शब्द और इस मिठाई का इतिहास काफी रोचक रहा है। रस यानी मिठास से भरपूर दूध और मलाई यानी की क्रीम। यह मिठाई ठंडी परोसी जाती है, जिससे इसका स्वाद दोगुना हो जाता है।

रसमलाई का नाम सुनते ही मुंह में पानी आना स्वाभाविक है। दूध में भीगा हुआ छेना से बने छोटे-छोटे गोलियां, चपटे रसगुल्ला स्वाद में काफी ज्यादा लजीज होता है। इसे केसर, इलायची और कभी-कभी पिस्ता, बादाम से भी सजाया जाता है। दो नाम से मिलकर बना यह शब्द और इस मिठाई का इतिहास काफी रोचक रहा है। रस यानी मिठास से भरपूर दूध और मलाई यानी की क्रीम। यह मिठाई ठंडी परोसी जाती है, जिससे इसका स्वाद दोगुना हो जाता है।

अक्सर शादी, पार्टियों में रसमलाई रखा जाता है। यह उड़ीसा की प्रसिद्ध मिठाई है, जो की सबसे हेल्दी डेजर्ट मानी जाती है।

कैसे बनती है रसमलाई

सबसे पहले हम आपको यह बता दें कि रसमलाई स्पंजी पनीर यानी इंडियन कॉटेज चीज से बनाई जाती है, जिसे गाढ़े रिड्यूस्ड मिल्क और क्लॉट क्रीम में भिगोकर रखा जाता है। इसके बाद रसमलाई को पिस्ता, बादाम, केसर और अन्य ड्राई फ्रूट्स से सजाया जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, पनीर में प्रोटीन काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसके अलावा ड्राई फ्रूट्स में एंटीऑक्सीडेंट्स पाया जाता है, जो कि बीमारियों के लिए रामबाण इलाज माना जाता है। वहीं दूध कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर होता है। ऐसे में रसमलाई हर तरीके से शरीर के लिए लाभदायक मानी जाती है।

सबसे हेल्दी मिठाई

रसमलाई को इसलिए सबसे हेल्दी मिठाई कहा जाता है क्योंकि यह डीप फ्राइड नहीं होती। इसमें नमक, चीनी की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे डायबिटीज पेशेंट को कोई खतरा नहीं होता और ना ही इससे किसी अन्य प्रकार की बीमारी की संभावना होती है। इसमें कैल्शियम, प्रोटीन और मिनरल्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कि शरीर के लिए बहुत ही ज्यादा आवश्यक होते हैं। इस हेल्दी रसमलाई को आप घर पर बहुत ही आसानी से भी बना सकते हैं।

पहली कहानी

इसका इतिहास काफी पुराना और दिलचस्प है। कुछ लोग इसका जन्म बांग्लादेश के कोमिल्ला को मानते हैं, वहीं कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि पहली बार रसमलाई कोलकाता में बनाई गई थी। इतिहासकारों के अनुसार, बंगाल के मशहूर मिठाई विक्रेता के. सी. दास ने पहली बार इस मिठाई को बनाया था। यह उस समय की बात है, जब 19वीं सदी में मिठाइयों की बहुत अधिक वैरायटी नहीं मिलती थी। लेकिन बंगाल का रसगुल्ला लोगों के बीच काफी पसंदीदा व्यंजन हुआ करता था। ऐसे में उनकी दुकान पर किसी ने सफेद रसगुल्ले को दूध में डालकर ठंडा किया और इसके बाद खाया। तब से ही इसका स्वाद लोगों के बीच छा गया।

दूसरी कहानी

एक दूसरी कहानी के अनुसार, रसमलाई को पहली बार बांग्लादेश के कोमिल्ला में रहने वाले संधु बंधुओं के परिवार ने बनाया था। यह इलाका पहले भारत का हिस्सा हुआ करता था। शुरुआत में इस मिठाई को “खीर भोग” कहा जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर रसमलाई कर दिया गया।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)


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Sanjucta Pandit

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