किताब पढ़ना है कितना फायेदमंद, पढ़िए यह खबर.. संवर जाएगी जिंदगी

Published on -
-Read-the-book-how-much-profitable-read-this-news---

कहते हैं किताबों से अच्छा दोस्त कोई नहीं होता। पढ़ने से ज्ञान प्राप्त होता है और ज्ञान से विवेक का जन्म होता है। जो जैसा पढ़ता है उसके संस्कार भी वैसे ही हो जाते। यूं तो हम कोर्स की किताबें, अखबार और सामान्य पत्र-पत्रिकाएं पढ़ते ही रहते हैं, लेकिन यदि अपने जीवन में पठन-पाठन की गंभीर अभिरूचि पैदा कर लें, तो ये आदत हमारे लिए बहुत सहायक सिद्ध हो सकती है। दुनिया में जितने भी सफल और महान व्यक्तित्व हुए हैं, उनमें पढ़ने की आदत विशेष रूप से शामिल रही है। अब चाहें महात्मा गांधी हों, बिल गेट्स, रतन टाटा या डॉ अंबेडकर। इनकी पढ़ने की आदत ने भी इनके व्यक्तित्व को गढ़ने में अहम भूमिका निभाई है।

आज के व्यस्त समय में दिनोंदिन पढ़ने की आदत कम होती जा रही है। सामान्य जीवन में जो अखबार पढ़ने की दिनचर्या रही उनकी जगह भी अब टीवी और वेब न्यूज़ पोर्टल लेते जा रहे हैं। हालांकि सूचनाएं व जानकारी प्राप्त करने का तरीका कुछ भी हो सकता है, लेकिन वैज्ञानिक शोध से भी साबित हुआ है कि पढ़े हुए अक्षर का प्रभाव मन-मस्तिष्क पर अधिक पड़ता है। अगर हम अपनी रोजमर्रा की आदतों में पढ़ने को भी नियमित रूप से शामिल कर लें तो यकीनन इसके कई सकारात्मक प्रभाव हमें महसूस होंगे।

पढ़ने से एकाग्रता बढ़ती है। हमारा ध्यान किसी एक चीज़ पर फोकस करने के लिए पढ़ाई एक सशक्त माध्यम है। रोज़ाना पढ़ने से हमारे दिमाग़ की एक्सरसाइज होती है और वो सक्रिय होता है। जिस प्रकार हम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम, योग आदि करते हैं, उसी प्रकार मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए पढ़ने का अभ्यास सबसे बेहतर उपाय है। ज़ाहिर सी बात है कि जब हम कुछ पढ़ेंगे तो हमारी जानकारी में इज़ाफा होगा, हमें दुनिया के बारे में नई सूचनाएं प्राप्त होंगी और ज्ञान में वृद्धि होगी। ये ज्ञान वृद्धि हमारे आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगी और हम स्वयं को ज्यादा अच्छी तरह से अभिव्यक्त कर पाएंगे। हमने देखा है कि बहुत कुशल वक्ता, कलाकार, एकेडमियन्स अपनी वाचन कला, लेखन या अन्य विधा से किस तरह हमें मोहित कर लेते हैं। इसके पीछे उनका गहन अध्ययन ही होता है। अगर हम भी अच्छी सुरूचिपूर्ण किताबें पढ़ेंगे तो हमारे भीतर भी बात करने और लिखने की कला विससित होगी। इससे समाज में प्रतिष्ठा कायम होगी और हमारी छवि एक प्रबुद्ध व्यक्ति के रूप में स्थापित हो सकती है।

पढ़ने से कल्पनाशीलता भी बढ़ती है। हम जितना पढ़ते हैं उससे आगे की स्थितियों की कल्पना करते हैं। इस दुनिया में जितने भी महान लेखक हुए हैं, उन्होने जितना लिखा है उससे कहीं गुना अधिक पढ़ा है। इस पढ़ने से ही उनके भीतर कल्पना शक्ति का विस्तार हुआ और वो इतना महान लेखन कार्य कर पाए। पढ़ने से हमारी याददाश्त भी बढ़ती है, साथ ही रात के समय अच्छा साहित्य पढ़ने से नींद भी अच्छी आती है और अच्छे विचारों का निर्माण होता है। किताबों से दोस्ती हो जाने पर व्यक्ति को कभी अकेलापन नहीं लगता, किताबें बहुत अच्छी दोस्त और बेहतरीन मार्गदर्शक साबित होती है। कहा भी जाता है कि जीवन में दो चीजें ही सबसे अधिक सिखा सकती है, एक तो किताबें और दूसरा अलग अलग स्थानों का भ्रमण। 

जब हम पढ़ते हैं तो गुनते हैं, इससे हमें स्वयं को जानने में भी मदद मिलती है। हम अपनी कमियों ग़लतियों को पहचानने के लायक बनते हैं और उन्हें सुधारने के लिए अग्रसर होते हैं। व्यक्ति जितना अधिक ज्ञानी होता है, उतना ही विनम्र होता जाता है। ज्ञान हमें एक तरह के संतत्व की ओर ले जाता है, ज्ञान की मुक्ति का मार्ग भी है। इसलिए एक अध्ययनशील व्यक्ति एक बहुत बेहतर और संवेदनशील इंसान भी होता है।  इस प्रकार किताबें हमें खुद से मिलाती हैं, दुनिया के दर्शन कराती हैं, नवीन जानकारियां देती हैं, ज्ञान में वृद्धि करती है और सबसे बड़ी बात सामान्य व्यक्ति से ज्ञानवान व्यक्ति बनने की ओर ले जाती है। तो आईये, हम सब अपने इस व्यस्ततम जीवन में एक सच्ची दोस्ती और कर लें किताबों से, विश्वास रखिये ये दोस्त जीवन के हर क्षण हमारा हाथ थामे हमें रोशनी की ओर लेकर जाएगी।


About Author

Mp Breaking News

Other Latest News