कहीं आपकी संगति तो नहीं बिगाड़ रही आपकी किस्मत? इन 2 आदतों से तुरंत पहचानिए

अगर आपके आसपास के लोग आपको बार-बार नीचा दिखाते हैं, आपकी खुशी में खुश नहीं होते, या हमेशा खुद का फायदा देखते हैं, तो समझ लीजिए कि आप गलत लोगों के साथ हैं। जानिए ऐसी कौन-कौन सी आदतें होती हैं, जो इशारा करती हैं कि संगति सही नहीं।

हर किसी की ज़िंदगी में दोस्त और साथ चलने वाले लोग बहुत मायने रखते हैं, लेकिन अगर वही लोग धीरे-धीरे आपकी सोच, आत्मविश्वास और व्यवहार को निगेटिव बना दें, तो अलर्ट हो जाना चाहिए। कई बार हम ऐसे लोगों के साथ समय बिताने लगते हैं, जो दिखते तो अपने लगते हैं, लेकिन दिल से नहीं होते। ऐसे में कुछ आदतें होती हैं, जो धीरे-धीरे आपके व्यवहार में दिखने लगती हैं।

अगर आप खुद को बार-बार असुरक्षित, परेशान या बेकार महसूस करते हैं, तो इसकी वजह आपके आसपास के लोग हो सकते हैं। ऐसे लोग बात-बात में आपको नीचा दिखाते हैं, आपके फैसलों का मज़ाक उड़ाते हैं, या सिर्फ अपने फायदे की सोचते हैं। वे आपकी बातों को गंभीरता से नहीं लेते और हमेशा अपनी कहानियां सुनाने में लगे रहते हैं। अगर आपको भी ऐसे संकेत मिल रहे हैं, तो आपको अब खुद पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए।

खराब संगति की पहचान कैसे करें?

खराब संगति में होने का सबसे बड़ा संकेत होता है, आपका बदलता व्यवहार। पहले जहां आप आत्मविश्वासी थे, अब खुद पर शक करने लगे हैं। आपको लगता है कि आपकी राय की कोई कीमत नहीं है। ऐसे लोग आपकी खुशियों से जलते हैं, आपके अच्छे समय में साथ नहीं रहते, और जब आप परेशानी में हों, तो खुद को गायब कर लेते हैं। इसके अलावा, अगर आपकी सोच धीरे-धीरे नकारात्मक होती जा रही है, या आप बार-बार खुद को दूसरों से कम आंकने लगे हैं, तो समझ जाइए कि आपकी संगति आपको नीचे खींच रही है।

खुद को कैसे बचाएं और सुधार करें?

सबसे पहले तो खुद से ईमानदारी से सवाल पूछिए, क्या ये लोग मेरे लिए सही हैं? क्या मैं उनके साथ बेहतर महसूस करता हूं या और टूट जाता हूं? इसके बाद धीरे-धीरे ऐसे लोगों से दूरी बनाइए, जो बार-बार आपकी खुशी को निगेटिविटी से ढक देते हैं। अच्छी संगति आपको प्रेरित करती है, न कि थकाती है। इसलिए खुद को ऐसे लोगों के साथ जोड़ें जो आपके विकास में मदद करें, आपकी उपलब्धियों में गर्व महसूस करें, और जरूरत पड़ने पर आपका सहारा बनें। समय रहते बदलाव करना ही समझदारी है।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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