Relationship tips : एक खुशहाल रिलेशनशिप के लिए इस बातों को अमल में लाएं

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। किसी भी रिलेशनशिप (Relationship) को मजबूत बनाने के लिए दोनों पक्षों को कोशिश करनी पड़ती है। रिश्ता लंबा चले और आपस में प्रेम बना रहे, इसके लिए एफर्ट लगते हैं। और ये एकतरफा नहीं हो सकता। जब दोनों मिलकर एक दूसरे का साथ देंगे, तभी ये बॉन्डिंग स्ट्रॉन्ग होगी। जब भी दो लोग साथ होते हैं तो स्वाभाविक रूप से उनके बीच कभी खटपट, तकरार भी होती है। लेकिन ये आपको तय करना है कि रिश्ते में अहम क्या है। आज हम बताने जा रहे हैं कि एक खुशहाल रिश्ते के लिए क्या करना जरुरी है और किन बातों को कभी तूल नहीं देना चाहिए।

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  • कभी भी पुरानी गलतियों को दोहराएं नहीं। एक बार जो बीत गया, उसे जाने दीजिए। न गलतियां दोहराएं न ही आगे किसी भी बात में उनका जिक्र करें।
  • प्यार के साथ एक दूसरे का सम्मान और विश्वास भी बहुत जरुरी है। अपने पार्टनर का सम्मान करें और उनकी बातों को महत्व दें।
  • कहते हैं कि शरीर की चोट एक बार भूल जाती है लेकिन मन की चोट कभी नहीं मिटती। इसलिए कभी भी आपसी लड़ाई में ऐसी भाषा का प्रयोग न करें कि सामने वाला आहत हो जाए।
  • अपने पार्टनर से उम्मीद करना स्वाभाविक है, लेकिन इतने डिमांडिंग भी न हो कि ये उम्मीदें उनके लिए मुसीबत बन जाए।
  • कभी भी उनका मजाक न उड़ाए। खासकर किसी और के सामने अपने साथी को मजाक का पात्र न बनाएं।
  • अगर कोई गलती हुई है तो सॉरी बोलना सीखें। किसी भी रिश्ते को बचाए रखने के लिए विनम्रता का गुण होना बहुत जरुरी है।
  • उनकी कोशिशों की सराहना कीजिए। अगर आपका पार्टनर आपके लिए कुछ कर रहा है तो उसके लिए शुक्रिया कहिए।
  • सामने वाले को उसका स्पेस दीजिए। किसी रिश्ते में होने का मतलब ये नहीं कि घुटन भरे कमरे में बंद हो। दोनों को अपने अपने हिस्से की हवा और आसमान की जरुरत होती है।
  • अपने पार्टनर की तारीफ कीजिए। उनके अच्छे काम को नोटिस कीजिए और बताइये कि वो कितने बेहतरीन हैं।
  • एक दूसरे की कमियों को स्वीकारिये और अच्छाइयों से सीखिये। ये बात हर रिश्ते पर लागू होती है।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।