शादी के बाद हर रिश्ते (Relationship Tips) में एक नया तालमेल बनाना पड़ता है, खासकर पति-पत्नी और ससुराल के बीच। बहुत सी महिलाएं यह शिकायत करती हैं कि उनका पति हर वीकेंड अपने मम्मी-पापा के घर चला जाता है, जिससे उन्हें अकेलापन और उपेक्षा महसूस होती है। शुरुआत में यह बात छोटी लग सकती है, लेकिन जब यह आदत बन जाती है, तो रिश्ता धीरे-धीरे दूरियों में बदलने लगता है। ऐसे में सवाल उठता है, क्या पति का हर वीकेंड पेरेंट्स के साथ बिताना गलत है? या फिर वाइफ को इसे समझना चाहिए?
भारतीय समाज में पारिवारिक जुड़ाव बहुत गहरा होता है। एक बेटा अपनी जिम्मेदारी और प्यार दोनों के चलते अपने माता-पिता से जुड़ा रहना चाहता है, जो स्वाभाविक है। लेकिन जब वही जुड़ाव शादी के बाद पत्नी के भावनात्मक स्पेस को प्रभावित करने लगे, तो यह रिश्ते में असंतुलन पैदा कर सकता है। हर रिश्ते में समय का बंटवारा प्यार नहीं घटाता, बल्कि उसे मजबूत बनाता है। अगर पति सिर्फ अपने पेरेंट्स को ही समय देता है और वाइफ को नजरअंदाज करता है, तो भावनात्मक दूरी बढ़ना तय है। इसलिए, जरूरी है कि पति दोनों रिश्तों में संतुलन बनाए क्योंकि पत्नी की भावनाएं भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी माता-पिता की अपेक्षाएं।
पति के व्यवहार को पहले समझें, फिर बदलने की कोशिश करें
हर व्यक्ति का अपने माता-पिता से जुड़ाव अलग होता है। कई बार पति गिल्ट या जिम्मेदारी की भावना से हर वीकेंड वहां जाता है, खासकर अगर माता-पिता अकेले रहते हों। लेकिन कई बार यह आदत केवल रूटीन बन जाती है, जिसमें पत्नी की उपस्थिति या भावनाएं अनदेखी रह जाती हैं। इस स्थिति में झगड़ा या ताना मारना समस्या को और बढ़ा सकता है। सबसे पहले, पति के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करें। पूछें क्या उन्हें लगता है कि आप उनके पेरेंट्स को पसंद नहीं करतीं? या उन्हें लगता है कि वह दोनों भूमिकाएं एक साथ नहीं निभा पा रहे? एक बार जब कारण स्पष्ट हो जाएगा, तो समाधान आसान होगा।
पति को कैसे समझाएं कि वाइफ का समय भी उतना ही जरूरी है
सीधी लेकिन संवेदनशील बातचीत करें
अपने पति से कहें कि आप उन्हें रोकना नहीं चाहतीं, बस चाहती हैं कि कुछ वीकेंड आप दोनों भी साथ बिताएं। उदाहरण के लिए, मैं समझती हूं कि आप अपने पेरेंट्स से मिलना चाहते हैं, लेकिन कभी-कभी मुझे भी आपकी ज़रूरत होती है।
प्लानिंग साथ करें
वीकेंड को इस तरह बांटें एक दिन पेरेंट्स के साथ, और एक दिन कपल टाइम के लिए। इससे दोनों पक्ष खुश रहेंगे।
पेरेंट्स को भी शामिल करें
कभी-कभी पति को ऐसा लगता है कि पत्नी उनके पेरेंट्स से दूरी बनाना चाहती है। लेकिन अगर आप खुद उन्हें मिलने का सुझाव दें या साथ चलें, तो यह धारणा बदल सकती है।
भावनात्मक ताने न दें
तुम्हें तो बस मम्मी-पापा की फिक्र है, मेरी नहीं! जैसी बातें रिश्ते को तोड़ सकती हैं। इसके बजाय कहें मैं चाहती हूं कि हम दोनों के लिए भी थोड़ा समय निकले।
रिलेशनशिप में “बैलेंस” ही है असली प्यार
किसी भी रिलेशनशिप की खूबसूरती इक्वल इमोशनल इन्वेस्टमेंट में होती है। पति-पत्नी दोनों अगर यह समझें कि एक-दूसरे की भावनाएं भी उतनी ही जरूरी हैं, तो रिश्ते मजबूत बनते हैं।
रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स का कहना है अगर पति-पत्नी अपने रिश्ते को टीम की तरह संभालें, तो कोई भी तीसरा रिश्ता उस पर असर नहीं डाल सकता। इसलिए अगर पति हर वीकेंड पेरेंट्स के साथ टाइम बिताना चाहता है, तो उसे मना न करें, लेकिन धीरे-धीरे यह समझाएं कि “हमारा रिश्ता भी आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए।
अगर पति नहीं समझता तो क्या करें?
अगर आप बार-बार समझाने के बावजूद भी बदलाव नहीं देख रही हैं, तो यह समय है कि आप थोड़ा भावनात्मक स्पेस खुद को दें। अपनी रुचियों, दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना शुरू करें। अपनी भावनाओं को डायरी में लिखें या किसी काउंसलर से सलाह लें। पति को यह महसूस होने दें कि आपकी दुनिया केवल उन्हीं के इर्द-गिर्द नहीं घूमती। कई बार जब व्यक्ति यह देखता है कि पार्टनर अपनी खुशी खुद बनाने में सक्षम है, तो वह स्वाभाविक रूप से रिश्ता सुधारने की ओर आता है।





