गुलाब सिर्फ एक फूल नहीं, एक जज़्बात है। इसकी खुशबू में सुकून है और रंगों में ताज़गी। चाहे घर की बालकनी हो या छत का कोना, गुलाब (Rose Plant) हर जगह अपनी मौजूदगी से रौनक बढ़ा देता है। कई लोग इसे उगाने से सिर्फ इसलिए पीछे हट जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इसकी देखभाल मुश्किल है या ये सिर्फ बाग-बग़ीचों में ही अच्छा लगता है।
लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। अगर आप कुछ आसान स्टेप्स फॉलो करें, तो गमले में भी गुलाब की ऐसी बहार ला सकते हैं जो लोगों का ध्यान खींचे बिना न रहे। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि कैसे घर में ही गुलाब का पौधा लगाएं, उसकी सही देखभाल करें और पूरे साल फूलों की महक से घर को महकाते रहें।

घर में गुलाब लगाने का सही तरीका क्या है?
गुलाब लगाने के लिए सबसे जरूरी है सही मिट्टी, धूप और पानी का तालमेल। सबसे पहले मिट्टी की बात करें तो गुलाब को अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी पसंद होती है जिसमें गोबर की खाद और थोड़ी रेत मिलाई गई हो। गमला ऐसा लें जिसमें नीचे छेद हो ताकि अतिरिक्त पानी बाहर निकल जाए। गुलाब के पौधे को ऐसी जगह रखें जहाँ उसे रोज़ाना कम से कम 5 से 6 घंटे की धूप मिले। पौधे को लगाते समय ध्यान रखें कि जड़ें ज्यादा दबें नहीं और पानी धीरे-धीरे दें ताकि जड़ों तक नमी पहुंचे।
गुलाब की देखभाल कैसे करें?
गुलाब की देखभाल बिल्कुल वैसे ही करनी होती है जैसे किसी बच्चे की। पौधे को नियमित रूप से पानी देना ज़रूरी है लेकिन जरूरत से ज्यादा पानी देना नुकसानदायक हो सकता है। गर्मियों में हर दिन और सर्दियों में हर दूसरे दिन पानी दें। समय-समय पर सूखे पत्तों और मुरझाए फूलों को हटा दें ताकि नए फूल अच्छी तरह खिल सकें। साथ ही, हर 15 दिनों में जैविक खाद देना जरूरी है ताकि पौधे को भरपूर पोषण मिले। कीटों से बचाने के लिए नीम का छिड़काव भी कर सकते हैं।
गुलाब उगाने में कौन सी गलतियाँ लोग अक्सर करते हैं?
कई लोग गुलाब को छांव में रख देते हैं, जिससे उसका विकास रुक जाता है। दूसरी बड़ी गलती है ज़रूरत से ज्यादा पानी देना, जिससे जड़ें सड़ जाती हैं। इसके अलावा, कुछ लोग साधारण मिट्टी में पौधा लगा देते हैं, जिसमें जरूरी पोषक तत्व नहीं होते। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर पौधे को सही जगह, सही मात्रा में खाद और धूप मिले तो गमले में भी गुलाब का पौधा पूरी तरह खिल उठता है।
अब बागवानी सिर्फ शौक नहीं, स्ट्रेस रिलीफ भी है
घर में गुलाब उगाना न सिर्फ आपकी जगह को खूबसूरत बनाता है, बल्कि यह एक तरह का थेरेपी भी है। बागवानी से मानसिक शांति मिलती है और रोज़ पौधों को बढ़ते देखना एक अलग ही सुकून देता है। यही कारण है कि अब शहरी जीवन में भी लोग गार्डनिंग की तरफ लौट रहे हैं।