Gangajal Rakhne ke Niyam : गंगा नदी का जल भारतीय सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह नदी भारत में पवित्रतम मानी जाती है। हिंदू धर्म में उन्हें देवी गंगा के रूप में पूजा जाता है। हिंदू धर्म में गंगा के जल को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। यह शुद्धता, प्राकृतिक उपाचार और आध्यात्मिक उद्देश्यों से प्रयोग में लाया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी गंगा का जल बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि इसमें कई प्रकार के मिनरल्स और धातु होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। वहीं, गंगाजल को पवित्र और शुद्ध बनाए रखने और संभालने के कुछ नियम और निर्देश होते हैं। अगर इन नियमों का पालन नहीं किया जाए तो गंगाजल अपवित्र हो सकता है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको कुछ नियमों के बारे में विस्तार से बताएंगे। आइए जानते हैं विस्तार से…
सनातन धर्म में गंगा नदी को माता का दर्जा दिया गया है। इसे पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। बहुत से लोग इसे अपने घरों में रखते हैं ताकि वे अपने धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों के लिए उसका उपयोग कर सकें। इसका उपयोग पूजा, शुद्धिकरण, अभिषेक और अन्य धार्मिक कार्यों में किया जाता है। इसके अलावा, गंगाजल को श्राद्ध काल में पितृ पूजा के लिए भी उपयोग किया जाता है। बता दें कि गंगाजल का उपयोग सिर्फ धार्मिक कार्यों में ही सीमित नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य लाभ, शुद्धि और प्राकृतिक चिकित्सा के लिए भी उपयोगी माना जाता है। इसलिए इसके नियमों का पालन करना चाहिए।
जानें नियम यहां
- गंगाजल को स्थान पर रखते समय ध्यान रखना चाहिए कि यह एक पवित्र धारणा होती है। इसलिए इसे साफ और शुद्ध स्थान पर ही रखना चाहिए। बता दें कि गंगा नदी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है। उसका जल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इसलिए हमें गंदगी और प्रदूषण से दूर रखकर गंगाजल का सम्मान करना चाहिए।
- गंगाजल को कभी भी प्लास्टिक के बोतल में नहीं रखना चाहिए। क्योंकि इसे शुद्ध नहीं माना जाता है। इसे आप तांबे का पात्र, पीतल का पात्र, मिट्टी का पात्र, चांदी का पात्र आदि में रखें। इससे उसकी पवित्रता और शुद्धता बनी रहती है। साथ ही यह लंबे समय तक खराब नहीं होता।
- गंगाजल को रखने को घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। गंगाजल की पवित्रता बनी रहती है। गंगाजल रखने का सबसे पवित्र स्थान घर का मंदिर होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) धार्मिक कार्यों और पूजा-पाठ के लिए सबसे सही दिशा मानी जाती है। गंगाजल को इस दिशा में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इसके अलावा, मंदिर में प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए। गंगाजल की पूजा से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- जिस दिन आपने मांस या मदिरा का सेवन किया हो, उस दिन गंगाजल को हाथ नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से गंगाजल की पवित्रता भंग हो सकती है। गंगाजल को अशुद्ध स्थान पर रखने से और उसे अशुद्ध हाथों से छूने से गृहदोष लगता है और व्यक्ति पाप का भागीदार बन सकता है। इसलिए गंगाजल को हमेशा शुद्ध और पवित्र स्थान पर ही रखना चाहिए।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)