आज की तेज़-तर्रार दुनिया में माता-पिता बच्चों की परवरिश (Parenting Tips) को लेकर या तो ज़्यादा सख्त हो जाते हैं या फिर उन्हें हर चीज़ में आज़ादी देने लगते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बच्चों को समझना और उन्हें सही दिशा देना भी एक ‘आर्ट’ है?
जाने-माने आध्यात्मिक गुरु साध्गुरु ने अपनी बातों से हमेशा लोगों को सोचने पर मजबूर किया है। उनका मानना है कि पैरेंटिंग सिर्फ सिखाने का काम नहीं है, बल्कि खुद को बदलने का भी सफर है। उन्होंने जो 7 बातें बताई हैं, वो बच्चों को बेहतर इंसान बनाने के साथ-साथ माता-पिता को भी संतुलित सोच देते हैं।
पैरेंटिंग का मतलब है बच्चे को स्पेस देना, निर्देश नहीं
1. बच्चों को ‘मालिकियत’ नहीं, जिम्मेदारी से पालें
साध्गुरु कहते हैं कि बच्चा कोई ‘प्रॉपर्टी’ नहीं है। वो आपके शरीर से जरूर आया है, लेकिन उसका अपना जीवन है। बच्चों पर अधिकार जताने के बजाय उन्हें समझिए और उनके साथ एक सम्मानजनक रिश्ता बनाइए। इससे वो खुद को स्वतंत्र महसूस करते हैं और बेहतर निर्णय लेना सीखते हैं।
2. बच्चों को बदलने से पहले खुद को बदलें
बहुत से माता-पिता बच्चों को डांटते हैं कि वो फोन ज्यादा चलाते हैं, गुस्सा करते हैं या आलसी हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वो ये सब आपसे ही तो सीख रहे हैं? साध्गुरु का कहना है कि बच्चा आपसे देख-देखकर सीखता है। इसलिए जो आप चाहते हैं कि वो करे, पहले वो आदतें खुद अपनाइए।
3. बच्चे को कंट्रोल नहीं, गाइड कीजिए
कई बार हम सोचते हैं कि बच्चों को कड़े नियमों में रखेंगे तो वो सुधर जाएंगे। लेकिन इससे उनके अंदर विद्रोह पैदा होता है। साध्गुरु का सुझाव है कि बच्चों को खुद सोचने का मौका दीजिए। उन्हें अपने अनुभव से सीखने दीजिए। आप उनके साथ गाइड की भूमिका में रहें, बॉस की नहीं।





