सद्गुरु ने बताया बच्चों के साथ छुट्टियों को कैसे बनाएं खास और यादगार

गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के साथ वक्त बिताना हर पैरेंट्स के लिए खास होता है, लेकिन इसे यादगार कैसे बनाएं? सद्गुरु ने कुछ ऐसे आसान और दिलचस्प तरीके बताए हैं।

गर्मियों की छुट्टियां बच्चों के लिए केवल मस्ती और आराम का समय नहीं होती बल्कि यह उनकी मानसिक और शारीरिक विकास के लिए भी बहुत ज़रूरी होती है। इस समय में बच्ची ना सिर्फ़ अपनी पढ़ाई से छुट्टी पाते हैं बल्कि नए अनुभव और सीख भी हासिल करते हैं। हालाँकि अगर आप सोचते हैं की छुट्टियों का मतलब बच्चों को कहीं दूर घुमाने ले जाना है, तो सद्गुरु (Sadhguru Parenting Tips) का नजरिया कुछ अलग है।

सद्गुरु मानते हैं कि बच्चों के लिए असली छुट्टी तब होती है जब उन्हें प्रकृति के पास लाया जाए। आज हम आपको इस आर्टिकल में सद्गुरु द्वारा बताए गए कई पेरेंटिंग टिप्स बताएंगे, जिसकी मदद से आप अपने बच्चों की छुट्टी को और भी यादगार बना सकते हैं। ये टिप्स न सिर्फ़ बच्चों को मज़े करवाएगी बल्कि मज़े ही मज़े में कई सारी बातें भी सिखा जाएगी।

गर्मी की छुट्टियां बच्चों के लिए क्यों हैं खास

गर्मी की छुट्टियां बच्चों के लिए केवल आराम का समय नहीं हैं, बल्कि यह उनके सीखने और खुद को बेहतर तरीके से समझने का भी मौका है। सद्गुरु के मुताबिक, छुट्टियां बच्चों के व्यक्तित्व को संवारने का सबसे अच्छा समय होती हैं। पैरेंट्स अगर थोड़ी समझदारी से काम लें, तो छुट्टियों में बच्चों के साथ बिताया गया हर पल उनके भविष्य को चमका सकता है।

सद्गुरु के अनुसार बच्चों के साथ छुट्टियों में कैसे बिताएं वक्त

सद्गुरु कहते हैं कि बच्चों के साथ छुट्टियां बिताते समय हमें उन्हें केवल खेलने या घुमाने तक सीमित नहीं करना चाहिए। बल्कि, उनके साथ ऐसा कुछ करना चाहिए जो उन्हें जिंदगी के असली सबक भी सिखाए।

सद्गुरु कहते हैं कि बच्चों को प्रकृति के करीब ले जाना बेहद जरूरी है। छुट्टियों में उन्हें गांवों, जंगलों या प्राकृतिक स्थलों पर ले जाएं। इससे उनमें जिम्मेदारी और संवेदनशीलता दोनों बढ़ती है।

सद्गुरु कहते हैं कि बच्चों को गर्मी की छुट्टियों में नई चीजें सिखाना फायदेमंद होता है। जैसे- खाना बनाना, बागवानी करना, कुछ क्रिएटिव बनाना। इससे बच्चों में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास बढ़ता है।

सद्गुरु कहते हैं कि छुट्टियों में बच्चों के पास बहुत सवाल होते हैं। सद्गुरु कहते हैं, पैरेंट्स को चाहिए कि वो धैर्य से उनके हर सवाल का जवाब दें ताकि बच्चे खुलकर सोच सकें और नया सीखने की जिज्ञासा बनी रहे।

बच्चों में खुद से सोचने की आदत डालें

छुट्टियों के दौरान बच्चों को थोड़ा-सा खुला माहौल दें। उनसे कहें कि वे खुद तय करें कि दिन का कुछ हिस्सा कैसे बिताना है। जब बच्चे खुद सोचकर निर्णय लेते हैं, तो उनमें आत्मनिर्भरता बढ़ती है। सद्गुरु के अनुसार, अगर बच्चे हर चीज के लिए बड़ों पर निर्भर रहेंगे, तो आगे चलकर वे बड़े फैसले लेने में हिचकिचाएंगे।

इसलिए जरूरी है कि पैरेंट्स बच्चों को छोटे-छोटे फैसले लेने के मौके दें। जैसे- कौन सी एक्टिविटी करनी है, कौन सी किताब पढ़नी है या क्या नया सीखना है। इससे उनका कॉन्फिडेंस भी बढ़ेगा और रचनात्मक सोच भी मजबूत होगी।

गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को तकनीक से कैसे दूर रखें

आजकल बच्चों का ज्यादातर वक्त मोबाइल, टीवी या लैपटॉप पर निकल जाता है। इस पर सद्गुरु कहते हैं कि अगर पैरेंट्स खुद डिजिटल डिटॉक्स की आदत डालें, तो बच्चे भी आसानी से तकनीक से दूर रह सकते हैं।

छुट्टियों में कुछ घंटे परिवार के साथ बिना फोन के बिताएं। खेल खेलें, किताबें पढ़ें या बाहर घूमने जाएं। बच्चों को दिखाइए कि असली मजा स्क्रीन के बाहर भी है। सद्गुरु बताते हैं कि अगर बच्चे खुद नेचर, खेल और लोगों के बीच रहना सीखेंगे, तो उनका भावनात्मक और सामाजिक विकास बेहतर होगा।

इसके लिए पैरेंट्स को भी थोड़ी मेहनत करनी होगी। अगर आप खुद भी हर समय फोन में बिजी रहेंगे, तो बच्चों से दूरी बनती जाएगी। इसलिए गर्मी की छुट्टियों को बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का एक शानदार मौका समझें, जिसमें तकनीक को थोड़ा किनारे रखकर असली रिश्तों को समय दिया जाए।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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