Sahityiki : साहित्यिकी में पढ़िए उषा प्रियंवदा की चर्चित कहानी ‘वापसी’

Sahityiki : आज शनिवार है और अपनी पढ़ने की आदत सुधारने के क्रम में हम पढ़ेंगे एक कहानी। साहित्यिकी में हम आज लेकर आए हैं उषा प्रियंवदा की बेहद चर्चित कहानी ‘वापसी’। 24 दिसंबर 1930 को जन्मी उषा प्रियंवदा सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं और इनकी कहानियों में पारिवारिक जीवन की परिवर्तित व्यवस्था एवं प्रेम सम्बन्धों के बदलते स्वरूप को बहुत ही सूक्ष्म तरीके से दर्शाया गया है। इस कहानी में एक व्यक्ति के रिटायरमेंट के बाद अपने घर लौटने और वहां खुद को ‘अनफिट’ पाने का बहुत ही मार्मिक चित्रण है। तो आईये पढ़ते हैं ये कहानी।

वापसी

गजाधर बाबू ने कमरे में जमा सामान पर एक नज़र दौड़ाई-दो बक्स, डोलची, बालटी–“यह डिब्बा कैसा है, गनेशी?” उन्होंने पूछा। गनेशी बिस्तर बाँधता हुआ, कुछ गर्व, कुछ दुःख, कुछ लज्जा से बोला-“घरवाली ने साथ को कुछ बेसन के लड्डू रख दिए हैं। कहा, बाबू जी को पसंद थे। अब कहाँ हम गरीब लोग, आपकी कुछ खातिर कर पाएँगे।” घर जाने की खुशी में भी गजाधर बाबू ने एक विषाद का अनुभव किया, जैसे एक परिचित, स्नेही, आदरमय, सहज संसार से उनका नाता टूट रहा हो।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।