भारत का इतिहास देखने पर हमें यह ज्ञात होता है कि हमारे यहां की पावन धरती संत, महात्मा और साधुओं की जन्मभूमि रही है। इनमें से एक संत कबीरदास भी हैं, जिनकी वाणी आज भी लोगों को जीवन में सही दिशा दिखाने का काम करती है। इस दिन उनके विचारों, शिक्षा और समाज में उनके योगदान को याद किया जाता है।
कबीरदास के दोहे आज भी बहुत ही अधिक प्रचलित हैं, जिनके अर्थ काफी गहरे होते हैं।

11 जून को मनाई जाएगी जयंती
हिंदू पंचांग के अनुसार, संत कबीरदास जयंती ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। ऐसे में 10 जून 2025 को सुबह 11:35 पर इसकी शुभ तिथि शुरू होगी, जिसका समापन अगले दिन यानी 11 जून को दोपहर 1:13 पर होगा। ऐसे में 11 जून को संत कबीरदास जयंती मनाई जाएगी।
इतिहास
कबीरदास के जन्म को लेकर कई सारी कथाएं प्रचलित हैं। इतिहास के मुताबिक वे एक विधवा ब्राह्मणी के पुत्र थे। उनका ज्ञान और अनुभव इतना अधिक था कि वे एक महान संत और कवि बने। उन्हें इतना अधिक आध्यात्मिक ज्ञान था कि वे दुनिया भर में प्रचलित हो गए। उन्होंने धार्मिक कट्टरता, अंधविश्वास, जातिवाद, पाखंड और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई थी।
समाज सुधारक
संत कबीरदास एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने सामाजिक ढांचे को उस वक्त चुनौती दी जब ऊँच-नीच, जात-पात और धर्म के नाम पर भेदभाव किया जाता था, जो उनके लिए असहनीय था। तब उन्होंने सभी को यह समझाया कि ईश्वर एक है और कोई भी व्यक्ति अपने कर्मों से बड़ा बनता है, ना कि जन्म से।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)