सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का सबसे पावन समय माना जाता है। शिवभक्त इस दौरान व्रत, जलाभिषेक और पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन सालों से एक सवाल लगातार महिलाओं के मन में घूमता रहा है क्या महिलाएं शिवलिंग को स्पर्श कर सकती हैं या नहीं?
इसी सवाल का जवाब दिया है प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज ने, और उनका जवाब कई रूढ़ियों को तोड़ता है। उनके मुताबिक, भगवान शिव सिर्फ पुरुषों के नहीं बल्कि स्त्रियों और किन्नरों के भी देवता हैं, और उन्हें पूजने का अधिकार सबको है।
प्रेमानंद महाराज ने क्या कहा पढ़िए
शिव को नारी-पुरुष में भेद नहीं
प्रेमानंद महाराज ने साफ शब्दों में कहा, “शिव सिर्फ पुरुषों के नहीं हैं, वो सबके भगवान हैं स्त्रियों, पुरुषों, किन्नरों और हर उस आत्मा के जो भक्ति करता है।” उन्होंने कहा कि जो भी सच्चे मन से भक्ति करता है, शिव उन्हें अपनाते हैं, फिर चाहे वो किसी भी लिंग का क्यों न हो।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब सोशल मीडिया और समाज में लगातार ये सवाल उठाए जाते हैं कि महिलाओं को शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए या उन्हें छूना वर्जित है।
धर्म का मतलब अलगाव नहीं, समावेश है
प्रेमानंद जी ने धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी धर्म किसी को दूर नहीं करता बल्कि जोड़ता है। अगर कोई स्त्री अपने श्रद्धा भाव से शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहती है, तो उसे रोका क्यों जाए? उन्होंने कहा, “जब शिव ने खुद अर्धनारीश्वर रूप लिया, तब ये बात कैसे मानी जाए कि वे महिलाओं को अपने करीब नहीं आने देते?”
समाज को बदलने की जरूरत
महाराज जी ने लोगों को आह्वान किया कि पुराने समय की रूढ़ियों को छोड़कर हमें धर्म को समझने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “अज्ञानता के कारण महिलाओं को कई धार्मिक कार्यों से रोका गया है, लेकिन आज ज्ञान का युग है। हमें सही जानकारी फैलानी चाहिए।





