अगर आपके घर में कोई बुजुर्ग है तो आपने यह जरूर सुना होगा कि हमें दक्षिण दिशा की ओर पैर करके कभी नहीं सोना चाहिए। इससे हमारे जीवन पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं और हमारी लाइफ अस्त-व्यस्त हो सकती है। हालांकि कुछ लोग इस बात को मानते हैं, जबकि कुछ लोग नहीं मानते हैं। लेकिन क्या यह सही है? क्या हमें वाकई इस दिशा में पैर करके नहीं सोना चाहिए? क्या इसके पीछे कोई पौराणिक कथा है?
आज इस खबर में हम आपको इसी विषय पर पूरी जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं कि इसके पीछे कोई साइंटिफिक कारण है या नहीं और विज्ञान क्या कहता है। इस बारे में पूरी जानकारी इस खबर में जानते हैं।

जानिए क्या कहता है साइंस?
दरअसल, वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो सोते समय हमारे शरीर में चुंबकीय विद्युत ऊर्जा का संचार होता है। यानी जब आप सोते हैं तो चुंबकीय ऊर्जा आपके शरीर में ट्रैवल करती है। इसी ऊर्जा के कारण नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और एक सुखद तथा शांतिपूर्ण नींद आती है। विज्ञान कहता है कि उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों में चुंबकीय शक्ति होती है, जो दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर बहती है। ऐसे में यदि कोई दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके सोता है तो उसके शरीर की चुंबकीय ऊर्जा सिर की तरफ जाती है।
इससे क्या होता है?
अब समझना होगा कि आखिर इससे होता क्या है। जब चुंबकीय ऊर्जा पैरों की तरफ से सिर की ओर बढ़ने लगती है और जब व्यक्ति सुबह उठता है तो वह तनाव में रहता है। कई घंटे सोने के बावजूद ऐसा महसूस होता है जैसे नींद पूरी नहीं हुई है। विज्ञान यह कहता है कि उत्तरी ध्रुव की चुंबकीय शक्ति के प्रभाव से लोगों में सिर दर्द, नींद की समस्या, तनाव और लगातार चक्कर आने जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। यानी विज्ञान भी दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने के लिए मना करता है, हालांकि इसका तथ्य अलग है। वहीं, घर के बुजुर्ग भी यही कहते हैं कि दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए, हालांकि वे इसे पूर्वजों से जोड़ते हैं।