हर रंग का है विशिष्ट अर्थ और महत्व, जानिये रंगों के संकेत और प्रतीक

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। हमारे जीवन में रंगों का बड़ा महत्व है। हर रंग अपने आप में खूबसूरत है। रंगों को लेकर सबकी अपनी अपनी पसंद होती है। इन रंगों के प्रतीक भी होते हैं और संकेत भी। भारतीय संस्कृति में रंगों का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। इनके चुनाव के पीछे मनोवैज्ञानिक कारण भी है। कहा जाता है कि रंगों का हमारी मन:स्थिति और स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। सूर्य की किरणों के प्रभाव से रंगों का निर्माण होता है। हम किसी भी वस्तु और उसके रंग को तभी देख पाते हैं जब या तो वो खुद प्रकाश उत्सर्जित करे या प्रकाश उससे टकराकर वापिस लौटे। आज हम हर रंग के संकेत और प्रतीकों के बारे में जानेंगे।

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  • सफेद – सफेद रंग सात रंगों का मिश्रण है। बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल रंग मिलाकर सफेद रंग का निर्माण होता है। श्वेत या सफेद को पवित्रता, शुद्धता, विद्या और शांति का प्रतीक भी माना जाता है। इससे मानसिक, बौद्धिक और नैतिक स्वच्छता प्रकट होती है।
  • लाल – लाल रंग मनुष्य के शरीर में स्नायु और रक्त की क्रियाशीलता बढ़ाता है। ये हमारे शरीर और मन को प्रसन्न करने वाला होता है। इसे प्रेम, क्रोध और संघर्ष का प्रतीक भी माना जाता है। हिंदू धर्म में लाल रंग का बहुत महत्व है। शुभ कार्यों में लाल रोली, कुमकुम, वस्त्र का पूजन में प्रयोग किया जाता है।
  • पीला – पीला रंग ज्ञान और विद्या का प्रतीक माना जाता है। ये सुख, शांति, अध्ययन, योग्यता, प्रफुल्लता और उत्तेजना का प्रतीक भी है। मांगलिक कार्यों में पीले रंग को अच्छा माना जाता है। भगवान विष्णु का वस्त्र पीला है, भगवान गणेश की धोती भी पीली है। इसीलिए मंगल कार्यों में पीला वस्त्र और हल्दी का उपयोग होता है।
  • हरा – हरा रंग प्रकृति का प्रतीक है। हरे से खुशहाली, उर्वरता, समृद्धि और प्रगति के संकेत मिलते है। इसे उत्सव से जोड़कर भी देखा जाता है। सारी प्रकृति, पेड़, पौधे, खेत हरे रंग में रंगे होते हैं इसलिए इसे जीवन और सृजन का प्रतीक भी माना जाता है।
  • नीला – नीला रंग बल, पौरुष, वीरता और पुरुषार्थ का प्रतीक है। आसमान और समंदर का रंग नीला होता है इसलिए विश्व में ये रंग सबसे अधिक व्याप्त है। भगवान शिव को नीलकंठ कहा जाता है। देवताओं का रंग भी मान्यतानुसार नीला है।
  • भगवा – भगवा रंग त्याग, बलिदान, शुद्धता, ज्ञान, तपस्या एवं सेवा का प्रतीक है। भारतीय संदर्भ में इसे पवित्रता, शुचिता, साधुता से जोड़कर देखा जाता है। सूर्योदय और सूर्यास्त का समय भगवा रंग का होता है। इसलिए भी इसका बहुत महत्व है। इसे सनातन परंपरा से भी जोड़कर देखा जाता है।
  • काला – काला रंग प्रधान रंग माना जाता है। ये सभी रंगों के सम्मिश्रण से तैयार होता है और किसी अन्य रंग की सत्ता को नकारता है। काला रंग धन दौलत, सम्मान, रुतबा और ताकत दर्शाता है। वहीं इसे क्रोध, प्रतिशोध या नफरत की भावना का प्रतीक भी माना जाता है। स्याह रंग को दुख और अंत का प्रतीक भी मानते हैं।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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