ताजमहल बनाने वाले मजदूर कैसे रहते थे एनर्जी से भरपूर, शाहजहां द्वारा बनवाई खास मिठाई करती थी कमाल

यहां आने वाले पर्यटक ताजमहल के अलावा वहां मौजूद अन्य पर्यटन स्थलों को एक्सप्लोर करते हैं। साथ ही यहां का प्रसिद्ध पेठा भी चाव से खाते हैं। जिसका स्वाद देश-विदेश में प्रसिद्ध है।

भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित ताजमहल (Tajmahal) प्यार की निशानी है। इसका इतिहास जितना पुराना है, उतना ही रोचक भी है। अक्सर ताजमहल से जुड़े कई सारे फैक्ट्स हमें सुनने को मिलते हैं। यमुना नदी के किनारे बसे इस भव्य मकबरे को देखने के लिए देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के पर्यटक पहुंचते हैं। चांदनी जैसी चमक, आकर्षक वास्तुकला लोगों को बहुत ही ज्यादा पसंद आती है। यूनेस्को द्वारा साल 1983 में से विश्व धरोहर का दर्जा दे दिया गया है। यह दुनिया के 7 अजूबों में से एक है।

बता दें कि ताजमहल 42 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। जिसकी देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है। इस मकबरे को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था।

पर्यटकों को आता है पसंद

यहां की सुंदरता और बनावट इसे काफी खूबसूरत बनाती है। सैलानी सालों भर यहां पहुंचते हैं। यहां आने वाले पर्यटक ताजमहल के अलावा वहां मौजूद अन्य पर्यटन स्थलों को एक्सप्लोर करते हैं। साथ ही यहां का प्रसिद्ध पेठा भी चाव से खाते हैं। आज हम आपको ताजमहल से जुड़े एक ऐसे फैक्ट के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है।

पेठा

जैसा कि हम सभी जानते हैं ताजमहल बनाने में कई साल लगे थे। ऐसे में मजदूर गर्मी हो चाहे सर्दी अपना काम करते रहते थे। वहीं, गर्मी के मौसम में काम करते वक्त थकान होना बहुत आम बात है। ऐसे में उनकी एनर्जी को बूस्ट करने के लिए पेठा दिया जाता था।

शाहजहां ने बनवाई थी ये मिठाई

इतिहासकारों की मानें तो शाहजहां के शासनकाल के दौरान आगरा के इस मिठाई की खूब चर्चा थी। जिस वक्त ताजमहल का निर्माण कराया जा रहा था, तब बादशाह अपने रसोइयों से ऐसी मिठाई बनाने को कहा, जो शुद्ध, साफ और सफेद हो। तब शाही रसोइयों ने सफेद कद्दू की मदद से पेठे बनाई, जो खाने में काफी ज्यादा स्वादिष्ट थी। इसके बाद बेगम मुमताज की याद में ताजमहल का निर्माण करवाने वाले बादशाह शाहजहां ने गर्मी से परेशान मजदूरों को एनर्जी बूस्टर के तौर पर पेठा देने का फरमान दिया था। दरअसल, इसकी तासीर ठंडी होती है। ऐसे में जब मजदूर काम किया करते थे और थक जाते थे, तब उन्हें पेठा दिया जाता था, ताकि उन्हें एनर्जी मिल सके।

आज भी होता है कारोबार

बता दें कि पेठे में भरपूर मात्रा में ग्लूकोज होता है, जिससे शरीर में पानी की पूर्ति होती है। साथ ही बॉडी को एनर्जी मिलती है। वर्तमान की बात करें, तो आज भी आगरा के नूरी दरवाजे क्षेत्र में पेठे का बड़ा कारोबार होता है। जिसका स्वाद देश-विदेश में प्रसिद्ध है। यहां घूमने जाने वाले पर्यटक अवश्य ही पेठा खाते हैं और घर के लिए भी पैक करवा कर ले जाते हैं।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)


About Author
Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

Other Latest News