भारत का को ठंडा रेगिस्तान जो सिर्फ मई से अक्टूबर के बीच खुलता है, लेकिन पहुंचने के लिए चाहिए हिम्मत और तैयारी!

हिमाचल में एक ऐसी जगह है जो साल में सिर्फ 6 महीने खुलता है और बाकी समय बर्फ से पूरी तरह कट जाता है। बौद्ध मठ, चंद्रताल झील, काजा और तिब्बती संस्कृति इसे खास बनाते हैं। जानिए क्यों ये जगह एडवेंचर और शांति दोनों चाहने वालों की पहली पसंद बन चुकी है।

हिमाचल प्रदेश की स्पीति वैली को भारत का को ठंडा रेगिस्तान कहा जाता है, जहां ऊंचे-ऊंचे बर्फीले पहाड़ और सूखी वादियां एक अलग ही दुनिया का एहसास कराती हैं। ये जगह साहसिक यात्रियों और शांति की तलाश करने वालों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं। मई से अक्टूबर तक ही यहां पहुंचा जा सकता है, क्योंकि बाकी समय भारी बर्फबारी रास्तों को बंद कर देती है।

स्पीति की खासियत है इसकी अनछुई प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर। यहां के गांव, जैसे काजा और लांगजा, अपनी पुरानी जीवनशैली को आज भी संजोए हुए हैं। स्थानीय लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं, और उनकी संस्कृति में तिब्बती प्रभाव साफ दिखता है। स्पीति का खाना, जैसे थुकपा और मोमोज, यात्रियों को गर्माहट और स्वाद दोनों देता है। ये जगह फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए भी बेस्ट है, क्योंकि हर कोना किसी पेंटिंग जैसा लगता है।

ऐतिहासिक मठ और प्राकृतिक चमत्कार

स्पीति वैली में कई प्राचीन बौद्ध मठ हैं, जो इसकी आध्यात्मिकता को बयां करते हैं। की मॉनेस्ट्री, जो 1000 साल से ज्यादा पुराना है, अपनी खूबसूरत बनावट और शांत माहौल के लिए जाना जाता है। तबो मठ, जिसे हिमालय का अजंता कहा जाता है, अपनी प्राचीन पेंटिंग्स और मूर्तियों के लिए मशहूर है। इसके अलावा, चंद्रताल झील का नीला पानी और आसपास की बर्फीली चोटियां हर यात्री को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। ये जगह ट्रेकिंग और कैंपिंग के लिए भी शानदार है।

ट्रैवल प्लानिंग, पहुंचने का तरीका और जरूरी सावधानियां 

स्पीति वैली तक पहुंचने के लिए सबसे अच्छा रास्ता शिमला या मनाली से है। शिमला से काजा तक की दूरी करीब 420 किलोमीटर है, और रास्ते में खूबसूरत नजारे मिलते हैं। मनाली से स्पीति पहुंचने में रोहतांग पास और कुंजुम पास जैसे रोमांचक रास्ते पार करने पड़ते हैं। यहां बाइक ट्रिप्स और ऑफ-रोड ड्राइविंग का मजा लिया जा सकता है। यात्रा से पहले परमिट लेना जरूरी है, क्योंकि कुछ इलाके संवेदनशील हैं। सर्दियों में रास्ते बंद होने से पहले मई-जून या सितंबर-अक्टूबर में जाना बेस्ट है।

यहां के लोग मेहमाननवाज हैं और अपनी परंपराओं को खुलकर साझा करते हैं। यात्रियों को ऊंचाई पर होने वाली सांस की तकलीफ से बचने के लिए पहले दिन आराम करना चाहिए। गर्म कपड़े, सनस्क्रीन, और पानी साथ रखना जरूरी है, क्योंकि मौसम तेजी से बदलता है। स्पीति में मोबाइल नेटवर्क कमजोर है, तो ऑफलाइन मैप्स और कैश साथ रखें। ये जगह पर्यावरण के प्रति संवेदनशील है, इसलिए कचरा न फैलाएं।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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