भारतीय इतिहास के पन्नों को पलट कर देखेंगे, तो यह पता चलता है कि मुगल शासन का इतिहास काफी रोचक रहा है। शुरुआत से लेकर इनके अंत तक सब कुछ विस्तार पूर्वक बचपन से ही पढ़ाया जाता है। देश में अहम योगदान निभाने वाले मुगल अपने शासनकाल के दौरान एक से बढ़कर एक किले, इमारत, बाजार, आदि का निर्माण करवा चुके हैं, जो आज भी भारत की ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विश्व भर में प्रसिद्ध है। जिनकी देखरेख पुरातत्व विभाग द्वारा की जाती है। यहां विश्व भर के पर्यटक घूमने फिरने पहुंचते हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।
अमूमन मुगल बादशाह अपने बचाव के लिए सुरंग और रास्ते बनाया करते थे, ताकि जरूरत पड़ने पर वह इन रास्तों का उपयोग करके अपनी जान बचा सके। आज हम आपको उस डरपोक बादशाह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो जंग में अपनी सेना को छोड़कर भाग जाया करता था।

खुद डुबो दी अपनी सल्तनत
जी हां! बहुत कम लोगों को इसके बारे में पता होगा कि एक ऐसा डरपोक बादशाह भी था, जो जंग में अपनी ही सेना को छोड़कर भाग जाता था। मुगल काल में एक से बढ़कर एक बादशाह थे, जिनके सामने अच्छे-अच्छे योद्धाओं के पसीने छूट जाते थे, लेकिन एक ऐसा भी बादशाह हुआ, जिसके किस्से आज भी मशहूर है। इतिहासकारों के अनुसार, उसने अपने सल्तनत की लुटिया खुद ही डुबो दी थी। अक्सर इस तरह के प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, इसलिए सामान्य ज्ञान के लिहाज से भी इसका उत्तर जानना जरूरी है।
हुमायूं (Humayun)
दरअसल, इस बादशाह का नाम हुमायूं है, जो कि मुगल साम्राज्य के दूसरा शासक था। जिसे इतिहास का सबसे डरपोक बादशाह माना जाता है। बाबर के बेटे हुमायूं की आदतें डरपोक वाली थी, इसलिए वह डरपोक बादशाह के रूप में जाना जाता है। 22 साल की उम्र में गद्दी पर बैठने वाले इस शासक को लगातार हार मिलती रही। एक समय ऐसा आ गया था, जब यह मुगल बादशाह भारत छोड़ने पर मजबूर हो गया था। जिसके बाद वह सिंध, मारवाड़ और फारस में भटकता रहा।
सबसे डरपोक मुगल बादशाह
इतिहासकारों के मुताबिक, वह अफ़गानों से हमेशा डरता रहा। उसे हमेशा अफ़गानों से खतरा महसूस होता था। इसलिए वह अपने दरबार और राज्य पर कड़े पहरेदारों को लगा रखे थे, ताकि कोई भी सीमा के अंदर प्रवेश ना कर सके। डरपोक होने के कारण वह अपने इलाके में ही टैक्स वसूल नहीं कर पाता था। एक बार मुगल शासक हुमायूं की शेरशाह सूरी से लड़ाई चल रही थी, तब चौसा की युद्ध में हुमायूं अपनी सेना को मैदान में छोड़कर भाग गया था। भागने के लिए हुमायूं ने गंगा नदी पार किया। केवल इतना ही नहीं, कन्नौज की लड़ाई में भी हुमायूं बिना लड़े ही मैदान छोड़कर भाग गया था।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)