दुनिया का दूसरा सबसे लोकप्रिय परफ्यूम, 100 साल बाद भी बरकरार है इसकी महक

इसे दुनिया के सबसे क्लासिक और रोमांटिक परफ्यूम्स में गिना जाता है। जानकारी के मुताबिक, इसकी कीमत अलग-अलग वेरिएंट और देशों के अनुसार बदलती रहती है।

दुनिया भर में एक से बढ़कर एक परफ्यूम बिकते हैं। जिनकी खुशबू मन को मोह लेती है। यह सिर्फ सुगंध नहीं, बल्कि इश्क और शाही ठाठ का प्रतीक भी है। जब भी बात मोहब्बत की होती है, तो ताजमहल का जिक्र जरूर किया जाता है, जो कि प्यार की निशानी है। जिसे शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। इसी से दुनिया के सबसे मशहूर परफ्यूम में से एक शालीमार की कहानी भी जुड़ी हुई है। जिसकी खुशबू दूर-दूर तक महकती है।

इस परफ्यूम की महक ऐसी है, जो आपको 70वीं सदी के मुगल दरबार, कश्मीर की खूबसूरत वादियां और शाही बागों की सैर करवा सकती है। यह दुनिया का दूसरा सबसे लोकप्रिय परफ्यूम है।

1921 में लॉन्च

इस परफ्यूम को 1921 में लॉन्च किया गया था, जो कि गुएरलेन ब्रांड का आईकॉनिक परफ्यूम माना जाता है। 100 साल बाद भी इसकी खुशबू का जादू कम नहीं हुआ है। इसकी महक रोमांटिक एहसास को बेहद खूबसूरत बनती है। इस परफ्यूम का नाम बहुत ही सोच समझ कर रखा गया था।

शालीमार परफ्यूम (Shalimar Perfume)

दरअसल, परफ्यूम का नाम शालीमार इसलिए रखा गया क्योंकि इसका इतिहास शाहजहां और मुमताज की मोहब्बत से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि शाहजहां और मुमताज ने कश्मीर के प्रसिद्ध शालीमार बाग में अपने खास पल बिताएं थे। इसलिए जैक्स गुएरलेन ने इस परफ्यूम को बनाया और इसका नाम शालीमार रखा, जो कि इश्क और शाही अंदाज को समर्पित था।

ऐसी होती है सुगंध

सुगंध की बात करें, तो जब इसे लगाया जाता है तब इसकी महक ताजी और हल्की होती है, लेकिन धीरे-धीरे यह गहरी और रोमांटिक होती जाती है। इसे दुनिया के सबसे क्लासिक और रोमांटिक परफ्यूम्स में गिना जाता है। जानकारी के मुताबिक, इसकी कीमत अलग-अलग वेरिएंट और देशों के अनुसार बदलती रहती है, लेकिन आमतौर पर यह 10,000 से 25,000 हजार के बीच है।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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