Ayurveda: आयुर्वेद के ये 3 तरीके शरीर और दिमाग को करते हैं संतुलित

जीवन शैली, डेस्क रिपोर्ट। वैसे बसंत साल का सबसे प्यारा मौसम होता है, क्योंकि इस मौसम में न तो गर्मी होती है और ना ही सर्दी। लेकिन फिर भी लोग मौसम को समझ नहीं पाते और बीमार हो जाते हैं। उन्हें समझ ही नहीं आता कि जब वह अच्छे से काम कर रहे थे, तो आखिर बीमार क्यों पड़ गए। अगर आपके साथ भी ऐसा है तो हो सकता है आपको मानसिक वेलनेस की जरुरत हो। मेंटल-फिजिकल वेलनेस हर किसी के लिए फायदेमंद है।

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आयुर्वेद की भाषा में कहें तो, वसंत महीने के अंत का समय हल्का ठंडा होता है। जिसके कारण कफ की शिकायत हो जाती है। इस समय ज्यादातर लोग इस समस्या से गुजरते हैं। यदि आप भी ऐसे लोगों के पास रहते हैं तो आप भी बीमार महसूस करने लगते हैं। फिर क्या करें? प्राचीन चिकित्सा के अनुसार आयुर्वेद से आप खुद को संतुलित रख सकते हैं खासकर उस समय जब मौसम बदलता रहता है। इन विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को एनर्जेटिक और संतुलित रख सकते हैं।

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शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन पाने के आसान आयुर्वेदिक तरीके क्या हैं:
1. मोमबत्ती की लौ पर ध्यान लगाने का प्रयास करें
कफ के मौसम में आयुर्वेद द्वारा अग्नि, वायु और ईथर तत्वों का समायोजन करके ऊर्जा को उसी के रूप में स्थान्तरित किया जा सकता है। इस ध्यान त्राटक में मोमबत्ती की लौ को ध्यान पूर्वक देखना होता है। यह बहुत ही गहन ध्यान अभ्यास है, जिसमे एक ही बिंदु पर ध्यान केंद्रित करना होता है। लौ को देखते हुए अपनी आँख को कम से कम 10 मिनट के लिए खुली एवं आराम से रखें। इससे आँखें स्वाभाविक रूप से फ़ैल जाएँगी। यह शुद्धिकरण की एक प्रक्रिया है। पालक झपकाने की क्रिया तेजी से न करें बल्कि धीरे से पलकों को गिराएं।

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2. नया सीखते रहें
मनुष्य का नया सीखने का विचार हमेशा उसके भीतर अग्नि तत्व का आह्वान करता है। यह आपकी जिज्ञासा को प्रज्वलित करता है और अपने सपने एवं जूनून का पीछा करने के लिए प्रेरित करता है। इसलिए अपने आरामदायक क्षेत्र से बाहर निकलकर नए हितों को खोजें। यह आपकी रचनात्मकता को बाहर लाता है।

3. दिनचर्या में करें बदलाव
आयुर्वेद में हमेशा से सुबह और रात के समय की दिनचर्या का सम्मान किया गया है, क्योंकि यह आपके शरीर और दिमाग की देखभाल करने का अवसर देता है। इसलिए जब ऋतुएँ बदलें खुद को एक्टिव कर लें।


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Ram Govind Kabiriya

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