राक्षसों के नाम पर बसे हैं भारत के ये 4 शहर, इतिहास से जुड़ी है कथा!

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इन भारतीय शहरों के नाम जिसकी राक्षस पर रखे गए हैं, उनका जिक्र पौराणिक कथाओं में भी पाया जाता है और इसकी खासियत भी काफी अनोखी है।

भारत में स्थित हर एक शहर की अपनी अलग-अलग खासियत है। यहां की परंपरा, संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत इन्हें बाकी सभी शहरों से अलग बनाती है। यहां सस्ता से लेकर महंगा हर तरह के शहर है, जहां लोग अपनी सुविधा अनुसार रहते हैं। हर शहर का अलग-अलग नाम भी होता है। कुछ शहर ऐसे हैं, जिनका नाम देवी देवताओं या फिर उस शहर के राजा या उसकी खासियत पर रखा जाता है, लेकिन भारत के कई शहर ऐसे भी है जिनका नाम राक्षसों के नाम पर रखा गया है।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इन भारतीय शहरों के नाम जिसकी राक्षस पर रखे गए हैं, उनका जिक्र पौराणिक कथाओं में भी पाया जाता है और इसकी खासियत भी काफी अनोखी है।

मैसूर

भारत में राक्षसों के नाम पर रखे गए शहरों की लिस्ट में मैसूर का नाम शामिल है, जो कि डेथ महिषासुर के नाम पर रखा गया है। जिसे देवी चामुंडेश्वरी ने मारा था। प्राचीन काल में इसे महिषा-उरु कहा जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम मैसूर रख दिया गया। साल 2014 में मैसूर को आधारित रूप से मैसूरू शुरू नाम दिया गया। यह भारत के प्रसिद्ध टूरिस्ट डेस्टिनेशन की लिस्ट में भी शामिल है।

जालंधर

इस लिस्ट में जालंधर का नाम भी शामिल है, जो कि पंजाब का मशहूर शायर है। यह राक्षस जलंधर के नाम पर रखा गया है, जो कि प्राचीन काल में यहां का शासक हुआ करता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जालंधर एक शक्तिशाली असुर था। जिसकी पत्नी का नाम वृंदा था। मान्यताओं के अनुसार, वृंदा के सतित्व के कारण भगवान विष्णु भी जलंधर का वध नहीं कर पाए थे, लेकिन जलंधर का अत्याचार इतना बढ़ गया था कि छल पूर्वक वृंदा का सतित्व तोड़ना पड़ा। इसके बाद जलंधर का वध संभव हो पाया था।

गया

इसके अलावा, बिहार का गया शहर का नाम भी गयासुर के नाम पर रखा गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गयासुर ने यज्ञ के लिए अपना शरीर दान किया था। जिस कारण यह पवित्र स्थान माना जाता है। इसी घटना के बाद यहां का नाम गया पड़ गया, जो आज प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां सालों भर श्रद्धालु पहुंचते हैं। खासकर पितृ पक्ष के दौरान यहां सर्वाधिक भीड़ देखने को मिलती है।

पलवल

इस लिस्ट में हरियाणा का पलवल शहर भी शामिल है, जो कि पलंबासुर के नाम पर रखा गया था। बहुत पहले इस शहर को पलंबपुर पर कहा जाता था, लेकिन समय के साथ इसका नाम बदलकर पलवल रख दिया गया। बता दें कि द्वापर युग में बलराम ने पलंबासुर का वध किया था।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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