भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर करने के बाद यह मामला दुनिया भर में चर्चा का विषय बन चुका है। ऐसे में सिंदूर शब्द हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। यह अमूमन लाल, केसरी, नारंगी या फिर हल्के पीले रंग का होता है। यह बिल्कुल नेचुरल और सुरक्षित होता है, जो सुहागन महिलाओं का गहना है। हालांकि, आजकल बाजार में केमिकल वाले सिंदूर भी बिक रहे हैं।
विवाहित महिलाएं अधिकतर लाल सिंदूर से ही अपनी मांग भरती हैं, जबकि पीला सिंदूर कुछ खास अवसर पर ही उपयोग किया जाता है। जैसे- पूजा-पाठ, शादी-विवाह आदि।

ऐसे बनता है सिंदूर
आज के आर्टिकल में हम आपको यह बताएंगे कि आखिर सिंदूर को तैयार कैसे किया जाता है। इसका रंग लाल के अलावा नारंगी या फिर पीला कैसे हो जाता है। अक्सर इस तरह के सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। वहीं, इन दोनों सिंदूर शब्द बहुत अधिक ट्रेंड में है, तो इसका जवाब पता होना जरूरी है।
सिंदूर का पौधा
करोड़ों महिलाओं की आस्था का प्रतीक सिंदूर का एक पौधा भी होता है। जिसके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता होगा। इस पौधा को Kamila Tree या Kumkum Tree कहा जाता है। इसमें जो फल निकलते हैं, उससे पाउडर और लिक्विड फॉर्म में सिंदूर बनता है। सिंदूर का यह पौधा अधिकतर साउथ अमेरिका में उगता है। वहीं, भारत के हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में भी सिंदूर का पौधा उगाया जाता है। इसका इस्तेमाल सिंदूर बनाने के अलावा लिपस्टिक, हेयर डाई, नेल पॉलिश जैसी चीजों में किया जाता है।
बनती है दवा
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो एक बार में पौधे से करीब एक से डेढ़ किलो तक सिंदूर फल निकल सकता है। जिसकी कीमत ₹400 प्रति किलो से ज्यादा होती है। इसे पीसकर सिंदूर बनाया जाता है। कई बार इसमें हल्दी, चूना सहित अन्य जड़ी बूटियां का भी इस्तेमाल किया जाता है। यह एकदम शुद्ध होता है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। बता दें कि इस फल को सिंदूर बनाने के अलावा खाने में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, इससे दवाएं भी बनती हैं।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)