Tue, Dec 23, 2025

साल में सिर्फ एक बार मिलती है ये सब्जी! बिकती है 150 रुपये किलो, बड़े चाव से खाते हैं लोग

Written by:Sanjucta Pandit
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आज हम आपको उस सब्जी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो साल में सिर्फ एक बार ही मिलती है। इसके आगे आपको अन्य चटपटेदार सब्जी और नॉनवेज भी फीका लगेगा।
साल में सिर्फ एक बार मिलती है ये सब्जी! बिकती है 150 रुपये किलो, बड़े चाव से खाते हैं लोग

भारत में एक से बढ़कर एक सब्जी खाई जाती है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद मानी जाती है। यहां सालों भर अलग-अलग प्रकार की सब्जी मिलती हैं। सर्दियों में यहां पत्तेदार सब्जियां पाई जाती है, तो वहीं गर्मियों में कटहल, सहजन, परवल सहित अन्य सब्जी मिलती है। इसका स्वाद एक बार खाने से कोई भूलता नहीं है, इसे हर क्षेत्र में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। साथ ही इसे महिलाएं अलग-अलग रेसिपी के साथ ट्राई करती हैं। लेकिन आज हम आपको उस सब्जी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो साल में सिर्फ एक बार ही मिलती है। इसके आगे आपको अन्य चटपटेदार सब्जी और नॉनवेज भी फीका लगेगा।

दरअसल, यह भोकरी की सब्जी या चिगूर है, जो कि बहुत ही फायदेमंद मानी जाती है। यह ग्रामीण इलाकों में आज भी देखने को मिलती है। साल में एक बार पाई जाने वाली यह सब्जी जंगली होती है, लेकिन लोग इसे फिर भी बड़े चाव से खाना पसंद करते हैं।

भोकरी का फूल

चिगूर या फिर भोकरी का फूल मार्च के महीने में खिलना शुरू हो जाता है। इसकी सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट बनती है, इसलिए लोग पेड़ से फूल को तोड़कर इसकी सब्जी बनाते हैं और बड़े ही चाव से खाते हैं। इस सब्जी का वैज्ञानिक नाम कॉर्डिया डायकोटोमा है। यह मार्केट में 150 रुपए किलो मिलता है। इसके बावजूद लोग खरीद कर इसे खाते हैं। इससे पाचन संबंधी सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

रेसिपी

  • इसे बनाने की रेसिपी बहुत आसान है।
  • सबसे पहले भोकरी के पेड़ पर आए फूलों को तोड़ लें।
  • अब इसे साफ पानी से धो लें।
  • इसके बाद कधाई में तेल, हल्दी, नमक, प्याज, मिर्ची पाउडर डालकर थोड़ा सा पानी डालें
  • फिर इसे थोड़ी देर लो फ्लेम पर पकने दें।
  • इससे सब्जी बहुत ही चटक और स्वादिष्ट बनेगी।

प्लाईवुड के रुप में होता है इस्तेमाल

इस पेड़ पर अक्सर गिलहरियां रहती हैं। इसके फलों का उपयोग खाने के अलावा प्लाईवुड के रूप में किया जाता है। इसलिए धीरे-धीरे भारत में इसकी संख्या कम होती जा रही है और यही कारण है कि इसके फल का रेट बढ़ जाता है। यह लोगों सहित पक्षियों को छाया देने का काम करती है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)