दुनिया में एक से बढ़कर एक गांव हैं, जहां लोग खेती-बागवानी आदि पर निर्भर हैं। इससे देश की आर्थिक व्यवस्था को मजबूती मिलती है। अगर भारत की बात की जाए, तो यह एक कृषि प्रधान देश है। इसके अलावा, हमारा समाज पुरुष प्रधान माना जाता है। घर की संपत्ति से लेकर फैसलों तक पहला अधिकार पुरुषों का होता है। यहां पर लोग खेती-बाड़ी, पशुपालन पर निर्भर करते हैं। यहां के लोगों का रहना, खाना-पीना सबकुछ इसे काफी अलग बनाता है।
इससे पहले हम आपको कई सारे गांवों से रुबरु करवा चुके हैं। आज हम आपको दुनिया के उस गांव के बारे में बताएंगे, जो एक देश में होने के बाद भी दूसरे देश के अधीन है।

प्याला
दरअसल, दुनिया के इस इकलौते गांव का नाम प्याला है जो की साइप्रस में स्थित है। साइप्रस में होकर भी ब्रिटेन के अधीन है। यहां के लोगों को साइप्रस की नागरिकता भी नहीं मिली है। ऐसे में यहां की जीवन शैली काफी अलग है।
ब्रिटिश कानून लागू
यह अनोखा गांव यूके के सॉवरेन बेस एरिया में आता है, जहां ब्रिटिश कानून लागू है। 1960 में साइप्रस की आजादी के बाद भी यह यूके के कब्जे में रहा। इस गांव में सैनिकों के अड्डे बने हुए हैं। इसके अलावा, यहां खेत-खलिहान भी हैं। गांव का कुछ हिस्सा सॉवरेन बेस एरिया में है, तो कुछ साइप्रस में और कुछ उत्तरी साइप्रस यानी तुर्की कब्जे वाले हिस्से में है। इसलिए यहां ब्रिटिश कानून लागू है।
होती है परेशानी
इस गांव में लोग आजादी से नहीं घूम सकते। खेतों तक जाने या रिश्तेदार से मिलने के लिए बार-बार इमीग्रेशन और कस्टम चेक से गुजरना पड़ता है। उत्तरी साइप्रस से सामान लाना भी यहां मुश्किल है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उनकी रोजमर्रा की दिक्कत तो को वहां होने वाले विकास भी नहीं सुलझा पाया है, जिस कारण उन्हें अपनी पहचान और अधिकार के लिए योजना पड़ रहा है।