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Sun, Dec 21, 2025

पति के सपने को पूरा करने के लिए 51 साल की उम्र में बनी SDM, पढ़ें गरिमा शर्मा की Success Story

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
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पति के सपने को पूरा करने के लिए 51 साल की उम्र में बनी SDM, पढ़ें गरिमा शर्मा की Success Story

Garima Sharma’s Success Story : आज देशभर में बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। इसी कड़ी में आज हम आपको पढ़ाई के क्षेत्र में सफलता हासिल करने वाली एक महिला की सक्सेस स्टोरी बताते हैं, जिन्होंने 51 साल की उम्र में एसडीएम के पद को संभाला है। अक्सर हमने सबसे कम उम्र में युवाओं को SDM बनते देखा होगा लेकिन कहते हैं मन में लगन और चाह हो तो उम्र मायने नहीं रखता है।

RAS परीक्षा की पास

दरअसल, इस महिला अधिकारी का नाम गरिमा शर्मा है। जिन्होंने अपने पति के सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की और आज इस मुकाम तक पहुंच चुकी है। बता दें कि गरिमा राजस्थान के जालोर की रहने वाली हैं। उन्होंने प्रदेश की सबसे कठिन RAS परीक्षा पास की। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि RAS में कैंडिडेट की उम्र 40 वर्ष तक होनी चाहिए, लेकिन विधवा महिलाओं के लिए इसमें छूट दी जाती है। जिसके तहत उनकी आयु 59 साल 364 दिन है, तो वो इस परीक्षा में बैठ सकती है। इसी के तहत, 2023 में RAS के 905 पदों पर आवेदन मांगे गए थे, जिसे पास करके गरिमा शर्मा ने अपने पति के सपने को पूरा किया है।

पति की मौत ने बदली जिंदगी

उनकी सक्सेस स्टोरी शुरू होती है उनके पति की मौत से। दरअसल, अब वह इस दुनिया में नहीं है। साल 2013 से 14 में वह एक गंभीर बीमारी से जूझते हुए इस दुनिया को अलविदा कर गए थे। पति की बीमारी के दौरान गरिमा शर्मा ने अपना लिवर डोनेट करने की ठान ली थी और अस्पताल में सारी प्रक्रियाएं भी पूरी हो गई थी, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। लिवर डोनेट करने से पहले ही वह चल बसे। उनकी मौत से गरिमा की जिंदगी बिखर गई थी।

दिन-रात की थी मेहनत

बता दें कि उनके पति संदीप का सपना था कि गरिमा भारत सरकार की अफसर बने। उनके जिंदा रहते हुए इस बात पर गरिमा ने कभी गौर नहीं फरमाया, लेकिन उनकी मौत उन्होंने अपने आप को संभालते हुए हस्बैंड की आखिरी ख्वाहिश पूरा करने की ठान ली। साल 2015 से उन्होंने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। इसके बाद साल 2016 में उन्होंने तीन कंपटीशन एग्जाम्स दिए। वह तीनों को क्रैक भी कर गई और तहसीलदार बनी, लेकिन इस पद से वह खुश नहीं थी। इसलिए उन्होंने फिर से परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी और इस बार परीक्षा में पास कर एसडीएम की कुर्सी पर बैठकर यह सपना पूरा किया।