खगोल विज्ञान की दुनिया में एक अहम मोड़ सामने आया है। दरअसल वैज्ञानिकों ने TOI-1846b नाम के एक नए ग्रह की खोज की है, जिसे ‘सुपर-अर्थ’ की श्रेणी में रखा गया है। इस ग्रह को NASA के TESS यानी ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट की मदद से खोजा गया है। वहीं इस शोध का नेतृत्व मोरक्को की औकाइमेडेन लैब के खगोलविद अब्दुरहमान साबकिउ ने किया है।
दरअसल TOI-1846b धरती से करीब 154 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और इसकी उम्र करीब 7.2 अरब साल आंकी गई है। वहीं इस ग्रह की त्रिज्या पृथ्वी से 1.792 गुना और द्रव्यमान 4.4 गुना अधिक है। यानी यह न सिर्फ आकार में बड़ा है, बल्कि अधिक घना और संभवतः अधिक ऊर्जा वाला भी हो सकता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस ग्रह पर पानी मौजूद होने की काफी संभावना है, जिससे आने वाले समय में यह एक्सोप्लैनेट रिसर्च का केंद्र बन सकता है।

पानी से भरपूर हो सकता है TOI-1846b
वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि TOI-1846b पर पानी की मौजूदगी तय मानी जा रही है, हालांकि इसकी पुष्टि के लिए अब रेडियल वेलोसिटी (RV) तकनीक का सहारा लिया जाएगा। इस तकनीक के जरिए ग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल और उसकी सतह की संरचना के बारे में सटीक जानकारी हासिल की जा सकती है। TOI-1846b की एक और खास बात है इसका बेहद छोटा ‘साल’। यह ग्रह अपने तारे की परिक्रमा सिर्फ 3.93 दिन में पूरा कर लेता है। इसका मतलब है कि इसका एक साल केवल चार दिन का होता है। ग्रह का तापमान करीब 295 डिग्री सेल्सियस तक आंका गया है। यानी यह बहुत गर्म है, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर ग्रह की बाहरी परत पर पानी है, तो यह कुछ विशेष परिस्थितियों में तरल रूप में भी हो सकता है।
दूसरे सुपर-अर्थ की भी हो चुकी है खोज
दरअसल वैज्ञानिकों ने इस ग्रह की खोज के लिए TESS के अलावा हाई रेजॉल्यूशन इमेजिंग, कलर फोटोग्राफी और स्पेक्ट्रोस्कोपिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया है। फिलहाल इस ग्रह को लेकर रिसर्च जारी है और निकट भविष्य में इस पर अधिक ठोस आंकड़े सामने आ सकते हैं। साल 2025 में TOI-1846b से पहले वैज्ञानिकों ने HD 20794 d नाम का एक और सुपर-अर्थ ग्रह खोजा था। यह ग्रह पृथ्वी से छह गुना ज्यादा भारी है और यह भी पानी की मौजूदगी के संकेत देता है। HD 20794 d पृथ्वी से करीब 20 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है और अपने तारे की परिक्रमा उसी तरह करता है जैसे पृथ्वी सूर्य की। हालांकि इसका ऑर्बिट पूरी तरह गोल नहीं है, जिससे यह कहना मुश्किल है कि वहां जीवन संभव है या नहीं।