Unique eating tools : आप खाना कैसे खाते हैं ? हाथ से चम्मच से या फिर छुरी-कांटे से। भोजन दरअसल सिर्फ स्वाद और पोषण का मामला भर नहीं..इसके पीछे सांस्कृतिक विरासत और और प्राचीन परंपराएं भी हैं। भारत में भोजन को ईश्वर का आशीर्वाद माना गया है। अन्न को ब्रह्मा कहा गया है। हमारे यहां सदियों से हाथ से खाने की परंपरा रही है। यहां हाथ से भोजन खाना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, वहीं दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में वहां की संस्कृति और परंपरानुसार खाना खाया जाता है।
ये दुनिया बहुत बड़ी है और उतनी ही विस्तृत है जीवन जीने के तरीके और मान्यताएं भी। कहीं खाने के लिए चम्मच, छुरी, कांटे का इस्तेमाल होता है तो कहीं चॉपस्टिक का। ये सब तो अब हमारे यहां भी प्रचलित हो गए हैं। लेकिन इनके अलावा भी भोजन करने के लिए इतने अलग अलग और दिलचस्प टूल्स का प्रयोग होता है..जो हमारे लिए अचरज का विषय हो सकता है। आइए, आज भोजन से जुड़ी कुछ ऐसी ही परंपराओं को जानते हैं।

भारतीय संस्कृति में हाथ से खाने का महत्व
भारत में हाथ से खाना सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि एक गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा है। आयुर्वेद के अनुसार, उंगलियों से भोजन को छूने से उसकी बनावट, तापमान और ताजगी का अंदाजा लगता है..जो पाचन को बेहतर बनाता है। हिंदू परंपरा में दाहिने हाथ से खाना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह देने और ग्रहण करने का प्रतीक है। हाथ से भोजन करने वाले मानते हैं कि रोटी तोड़कर दाल या सब्जी के साथ खाने का आनंद चम्मच-कांटे से मिल ही नहीं सकता।
चम्मच, छुरी, कांटा: पश्चिम का पसंदीदा
पश्चिमी देशों में चम्मच, छुरी और कांटा खाने की मेज का अभिन्न हिस्सा हैं। मध्ययुगीन यूरोप में लोग सिर्फ चाकू और हाथों से खाते थे..लेकिन 16वीं सदी में कांटे ने डाइनिंग टेबल पर अपनी जगह बनाई। आज फ्रांस में सूप के लिए गोल चम्मच, इटली में पास्ता के लिए कांटा और स्टेक काटने के लिए तेज छुरी आम टूल है।
चॉपस्टिक: पूर्व की परंपरा
चीन, जापान, कोरिया और वियतनाम में चॉपस्टिक सिर्फ एक टूल नहीं..बल्कि कला और शिष्टाचार का प्रतीक भी है। 3000 साल पुरानी ये परंपरा चीन से शुरू हुई, जहां बांस की दो पतली छड़ियां खाने को छोटे-छोटे टुकड़ों में पकड़ने के लिए इस्तेमाल की जाती थी। जापान में चॉपस्टिक को सही तरीके से पकड़ना और मेज पर रखना शिष्टाचार का हिस्सा है। चॉपस्टिक से नूडल्स या सुशी खाने का मजा वही समझ सकता है, जिसने इसे आजमाया हो।
अफ्रीका और मध्य पूर्व: सामूहिक भोजन की परंपरा
इथियोपिया जैसे अफ्रीकी देशों में लोग इंजेरा (एक खट्टा फ्लैटब्रेड) को हाथों से तोड़कर दाल या स्टू डुबोकर खाते हैं। यहां सामूहिक थाली में भोजन करना पारिवारिक और समुदाय की एकता का प्रतीक है। मध्य पूर्व में, खासकर अरब देशों में दाहिने हाथ से रोटी के टुकड़ों के साथ हमस, कबाब या स्टू खाना आम है। कुछ जगहों पर चम्मच का इस्तेमाल सिर्फ सूप या दही के लिए होता है।
नारियल का गोला: पैसिफिक द्वीप और दक्षिण एशिया
प्रशांत द्वीपों और भारत के कुछ हिस्सों में नारियल के गोले या सूखे कद्दू को चम्मच या कटोरे की तरह इस्तेमाल किया जाता है। ये प्राकृतिक और बायोडिग्रेडेबल औजार पर्यावरण के प्रति सम्मान का भाव दर्शाते हैं।
तटीय क्षेत्र: सीप के खोल
न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कैरिबियाई द्वीपों में सीप के खोल को चम्मच की तरह उपयोग करते हैं, खासकर ऑयस्टर या क्लैम जैसे समुद्री भोजन के लिए। ये खोल सजावटी और उपयोगी दोनों हैं।
दक्षिण पूर्व एशिया: बांस के पत्ते या लकड़ी के स्कूप
थाईलैंड, लाओस और मलेशिया में बांस की पत्तियों को मोड़कर या लकड़ी को तराशकर स्कूप बनाए जाते हैं, जिनसे चावल, सूप या करी खाई जाती है।
हॉर्न स्पून: उत्तरी अमेरिका और स्कैंडिनेविया
उत्तरी अमेरिकी समुदाय और नॉर्वे में जानवरों के सींगों से बने चम्मचों से सूप या स्टू खाया जाता है। ये शिकार और प्रकृति के साथ गहरे संबंध को दर्शाते हैं।
मध्य एशिया और मंगोलिया: लकड़ी के स्पैटुला और हड्डी के चम्मच
मंगोलिया और कजाकिस्तान में लकड़ी या हड्डियों से बने छोटे स्पैटुला या चम्मच दही, सूप या मांस खाने के लिए उपयोग होते हैं। ये खानाबदोश जीवन के लिए आदर्श हैं।
दक्षिण एशिया और कैरिबियन: केले या पाम के पत्ते
भारत, श्रीलंका और त्रिनिदाद में पत्तों को कटोरे, थाली या चम्मच की तरह उपयोग किया जाता है। ये पत्ते भोजन में हल्का स्वाद जोड़ते हैं और पूरी तरह प्राकृतिक हैं।
(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतें से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)