Serving Food With Feet : हमारे देश में एक-से-बढ़कर-एक परंपराएं हैं। हर राज्य की अपनी अलग संस्कृति और सभ्यता है। हालांकि, भारतीय परंपरा के अनुसार भोजन को हमेशा सम्मान और प्यार के साथ किसी को भी परोसा जाता है। वैसे तो किसी को भी खाना खिलाना बड़ा पुण्य का काम होता है। वहीं पर्व-त्योहार जैसे शुभ अवसरों पर भी भक्त भगवान को तरह-तरह के व्यंजन भोग के तौर पर चढ़ाते हैं। ऐसे में इंसान को भी सम्मानपूर्वक भोजन परोसन हमारे संस्कारों में निहित होता है।
वैसे आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत के कुछ हिस्सों में ऐसी परंपरा है, जहां पत्नी अपने पति को पैर से थाली खिसकाकर खाना परोसती है। अब आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि इस वक्त उस इंसान को कैसा महसूस होता होगा। अमूमन ऐसी स्थिति में किसी को भी गुस्सा तो जरूर ही आएगा, लेकिन यह एक अनोखी परंपरा है। जिसके पीछे बहुत बड़ा रहस्य भी है।
पैर से परोसती हैं भोजन
जी हां, भारत के कुछ हिस्सों में नई नवेली दुल्हन अपने पति को पैर से थाली खिसकाकर खाना परोसती हैं। जिसे पति बड़े ही प्यार से स्वीकार भी करते हैं। केवल इतना ही नहीं, वह इसे माथे पर लगाकर इसे चूमते भी हैं। यह काफी अजीबोगरीब रीति-रिवाज है, लेकिन वहां के लोग इस रिचुअल को बिना निभाए शादी को शुभ नहीं मानते हैं।
अनोखी परंपरा
दरअसल, ऐसी परंपरा थारू जनजाति में निभाई जाती है। जब शादी के बाद नई नवेली दुल्हन ससुराल आती है, तो उसे यह अनोखी और दिलचस्प रस्म निभानी पड़ती है। जिसके तहत दुल्हन अपने पति को हाथों से नहीं, बल्कि पैरों से भोजन बनाकर थाली परोसती है। जिसे इस समाज के लोग महत्वपूर्ण तरीके से निभाते हैं। यह रस्म उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल के थारू समुदाय में निभाई जाती है। यह शादी के तुरंत बाद की रसम होती है। इस रस्म को “अपना पराया” नाम से जाना जाता है। इसके पीछे का महत्व यह है कि अब दुल्हन दूल्हे की परिवार की हो गई है, लेकिन ऐसा नहीं है कि वह अपने मायके से अलग हो गई है। यह अभी भी उस परिवार का हिस्सा है। इस रस्म को निभाने के बाद पति-पत्नी अपने नए जीवन की शुरुआत करते हैं।
जानें रहस्य
मान्यताओं के अनुसार, थारू जनजाति की महिलाएं राजवंश से संबंध रखती थी। हल्दीघाटी के युद्ध के बाद राजवंश को जब बड़ा झटका लगा, तब उन्हें विवश होकर सैनिकों और सेवकों से विवाह करना पड़ा। हालांकि, उन्हें जीवनसाथी तो मिल गया लेकिन ऊंचे कुल और सामाजिक दर्जा ना मिलने के कारण उन्हें मानसिक पीड़ा होती रही। जिसे व्यक्त करने के लिए और शायग बदला लेने के लिए अनूठी परंपरा की शुरुआत की गई।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)