क्या आपने कभी गौर किया है कि आपके घर के मंदिर में भगवान की मूर्तियां किस दिशा में रखी हैं? अगर नहीं, तो ये छोटी-सी लापरवाही आपके पूरे घर की ऊर्जा को प्रभावित कर सकती है। वास्तु शास्त्र (Vastu) के अनुसार, मंदिर की दिशा और उसमें रखी मूर्तियों का स्थान आपके जीवन की सुख-शांति और तरक्की से सीधा जुड़ा होता है।
आजकल लोग मंदिर को सजाने में तो खूब ध्यान देते हैं, लेकिन कई बार सजावट के नाम पर ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो शुभता की जगह अशुभता ला देती हैं। जैसे गलत दिशा में मूर्तियां रखना, खंडित या उग्र रूप की प्रतिमाएं स्थापित करना आदि। इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान न रखने से घर में नेगेटिव एनर्जी पनप सकती है। आइए जानते हैं वो जरूरी वास्तु टिप्स जो हर घर के मंदिर के लिए अपनाने लाज़मी हैं।

भगवान की मूर्तियों की दिशा कैसी होनी चाहिए?
अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में हमेशा पॉजिटिव एनर्जी बनी रहे, तो सबसे पहले भगवान की मूर्तियों की दिशा पर ध्यान दें। वास्तु शास्त्र के मुताबिक, घर के मंदिर में भगवान का मुख हमेशा पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। पूजा करने वाले का मुंह भी पूर्व की ओर होना शुभ माना गया है। उत्तर दिशा की ओर भगवान को रखने से भी लाभ होता है, लेकिन दक्षिण दिशा से बचना चाहिए क्योंकि इसे नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है।
इसके अलावा भगवान की मूर्तियों को दीवार से सटाकर न रखें। दीवार और मूर्ति के बीच थोड़ी जगह ज़रूर रखें ताकि ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। मंदिर हमेशा साफ-सुथरा और शांत स्थान पर होना चाहिए – जैसे ड्रॉइंग रूम या घर का उत्तर-पूर्व कोना।
मंदिर में किन मूर्तियों से बचना चाहिए?
हर भगवान की मूर्ति को मंदिर में नहीं रखा जा सकता। उदाहरण के तौर पर, भगवान शिव का नटराज रूप या रुद्र रूप घर के मंदिर में नहीं रखा जाना चाहिए क्योंकि यह उग्र रूप होता है। इसी तरह, टूटी-फूटी या खंडित मूर्तियां घर में अशुभ मानी जाती हैं और उन्हें तुरंत हटा देना चाहिए।
भगवान गणेश की मूर्ति में भी बहुत से लोग भूल करते हैं। वास्तु के अनुसार, घर में गणेश जी की बैठी हुई मुद्रा (बैठे हुए गणपति) की मूर्ति रखना ज़्यादा शुभ माना गया है। खड़े हुए गणेश जी का स्वरूप व्यापारिक स्थानों के लिए बेहतर होता है। देवी लक्ष्मी की मूर्ति में उनका मुख हमेशा बाहर की ओर (घर की ओर) होना चाहिए, ताकि धन-लाभ हो।
मंदिर में क्या न करें
कई लोग मंदिर के ऊपर या नीचे स्टोर रूम या टॉयलेट बना लेते हैं, जो वास्तु के मुताबिक बिल्कुल भी ठीक नहीं है। पूजा घर के ऊपर कभी भी कोई भारी सामान न रखें। साथ ही मंदिर को कभी भी बेडरूम या रसोई के बिल्कुल पास न बनाएं। मंदिर में जूते-चप्पल पहनकर जाना, या वहां खाना रखना भी अपवित्र माना जाता है। इसके अलावा, मंदिर में एक से ज़्यादा शिवलिंग या सूर्य देव की मूर्ति नहीं होनी चाहिए। मंदिर में दर्पण लगाना भी टाला जाना चाहिए, क्योंकि इससे ऊर्जा का संतुलन बिगड़ सकता है।