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Fri, Dec 19, 2025

कहीं आपने अपने घर का ये हिस्सा तो नहीं दिया किराए पर, जान लें वास्तु के नियम, वरना भुगतने पड़ सकते हैं कानूनी झंझट

Written by:Bhawna Choubey
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शहरों में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग अपने घर का एक हिस्सा किराये पर देने लगते हैं, जिससे कि उनकी इनकम होती रहे। लेकिन ऐसे में यह समझना बेहद ज़रूरी है कि आख़िर ऐसा कौन सा घर का हिस्सा है जिसे कभी भी किराये पर नहीं देना चाहिए वास्तु शास्त्र में भी इसके बारे में कई बातें बतायी गई है।
कहीं आपने अपने घर का ये हिस्सा तो नहीं दिया किराए पर, जान लें वास्तु के नियम, वरना भुगतने पड़ सकते हैं कानूनी झंझट

आजकल शहरों में जगह की कमी और बढ़ते खर्चों के कारण लोग अपने घरों का कुछ हिस्सा किराये पर देने लगे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र (Vastu Tips) के अनुसार घर की कुछ जगहें ऐसी होती है जो ना किराये पर देखना आपके लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो सकता है।

एक छोटी सी अनदेखी आपको कई तरह की मुसीबतों में फँसा सकती है। इतना ही नहीं आपको कोर्ट कचहरी के चक्कर तक लगाने पड़ सकते हैं। ऐश्वर्या बिना दिल करते हुए जान लेते हैं कि आख़िर घर कि वह जगह कौन सी है जैसे कभी भी किराये पर नहीं देना चाहिए, और क्यों नहीं देना चाहिए इसके पीछे का कारण भी जान लेते हैं।

बेसमेंट देने से बढ़ता है विवाद

वास्तु शास्त्र में ऐसा कहा गया है कि घर का बेसमेंट या सबसे निचली मंज़िल को कभी भी किराये पर नहीं देना चाहिए। क्योंकि यह ऊर्जा के संतुलन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। अगर इससे को किसी बाहरी व्यक्ति को किराया पर दिया जाए तो यह न सिर्फ़ ऊर्जा प्रवाह में बाधा पहुँचाता है, बल्कि कई तरह के नकारात्मक प्रभाव को भी पैदा कर सकता है।

वास्तु शास्त्रों की मानें तो निचली मंज़िल पर किरायेदार रहने लगे तो धीरे धीरे घर की मूल सदस्यों के साथ उनकी अनबन या टकराव की संभावना बढ़ने लगती है। यही कारण है कि धीरे धीरे ये छोटे छोटे विवाद कब क़ानूनी कार्रवाई का हिस्सा बन जाते हैं पता भी नहीं चल पाता है।

किन जगहों को दिया जा सकता है किराये पर

अगर आपको किसी कारणवश अपने घर का हिस्सा किराये पर देना ही है तो सबसे अच्छा रहेगा कि आप उपरी मंज़िल या अलग से बना हिस्सा किराये पर दें। ऐसा करने से किरायदार का प्रभाव घर की ऊर्जा शांति पर कम पड़ेगा। इसके अलावा किराया अनुबंध लिखित रूप में ज़रूर करवाएं, और उसमें यह स्पष्ट करें कि किरायदार का उस सम्पत्ति पर कोई स्थायी हक़ नहीं होगा।