किचन स्लैब पर रोटियां बेलना सही या गलत? जानें क्या कहता है वास्तु शास्त्र

अक्सर घरों में महिलाएं किचन स्लैब पर ही रोटियां बेलती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार यह आदत सही है या गलत? किचन का वास्तु सीधा असर आपके स्वास्थ्य, घर की समृद्धि और मानसिक शांति पर डालता है। जानिए क्या कहता है वास्तु इस सामान्य लेकिन जरूरी आदत के बारे में।

आजकल मॉडर्न किचन का ट्रेंड तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन कुछ आदतें अब भी वैसी है जैसी पहले हुआ करती थी। रोटी बनाना भी उन्हीं में से एक है। आमतौर पर रोटियां बेलने के लिए लकड़ी के बोर्ड या चौकी का इस्तेमाल किया जाता है।

लेकिन कई लोग सुविधा के अनुसार स्लैब पर ही रोटियां बेल लेते हैं। लेकिन अब सवाल यह है कि क्या यह आदत वास्तु के हिसाब से सही है? आज हम आपको इस आर्टिकल में विस्तार से बताएँगे की वास्तु (Vastu Tips) इस मामले में क्या कहता हैं।

किचन में रोटियां बेलने का तरीका बढ़ा सकता है पॉजिटिव एनर्जी

हम सभी की रसोई में एक चीज कॉमन होती है, किचन स्लैब। यही जगह होती है जहां सब्जियां काटी जाती हैं, खाना पकता है और कई बार रोटियां भी वहीं बेल ली जाती हैं। लेकिन वास्तु के जानकारों का मानना है कि किचन स्लैब पर रोटियां बेलना कुछ खास परिस्थितियों में सही नहीं होता। वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई एक पवित्र स्थान है जहां भोजन तैयार होता है। इसलिए यहां की सफाई और ऊर्जा का संतुलन बेहद जरूरी है।

यदि आप रोज किचन स्लैब पर ही रोटियां बेलते हैं, तो पहले यह देखना जरूरी है कि स्लैब पर कोई गंदगी या अनावश्यक सामान तो नहीं रखा है। गंदा या असंतुलित स्लैब नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, जो परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और मनोस्थिति पर असर डाल सकता है।

किचन वास्तु और रोटियां बेलने की दिशा का संबंध

वास्तु शास्त्र में रसोई की दिशा और कार्य करने की दिशा का विशेष महत्व है। रोटियां बेलते समय यदि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर है, तो यह शुभ माना जाता है। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद करती है।

अगर किचन इस तरह से डिजाइन किया गया है कि स्लैब पर बेलन और चकला रखने से दिशा दक्षिण या पश्चिम बनती है, तो यह वास्तु दोष का कारण बन सकता है। इससे घर में तनाव, रोग और अनावश्यक खर्चे बढ़ सकते हैं। इसलिए वास्तु विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कोशिश करें बेलन और चकला को ऐसी जगह रखें, जहां मुख पूर्व दिशा में रहे।

स्लैब की ऊंचाई और सामग्री का भी होता है असर

कई बार स्लैब की ऊंचाई बहुत अधिक या कम होती है, जिससे बेलते वक्त शरीर को झुकाना या ऊंचा उठाना पड़ता है। इससे न सिर्फ स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि ऊर्जा का प्रवाह भी बाधित होता है।

वास्तु शास्त्र में यह भी कहा गया है कि किचन स्लैब का रंग हल्का होना चाहिए, जैसे सफेद, क्रीम या हल्का पीला। गहरे रंग जैसे काला या गहरा भूरा नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं।

यदि आपके किचन में सभी कार्य स्लैब पर ही किए जाते हैं, तो वहां की साफ-सफाई, दिशा और ऊर्जा संतुलन का विशेष ध्यान रखें। वास्तु सिर्फ दिशा नहीं, बल्कि जीवन में संतुलन और सकारात्मकता लाने का एक मार्ग है।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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Bhawna Choubey

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