जब भी प्रेरणा की बात होती है, तो कुछ नाम अपने आप सामने आ जाते हैं। उन नामों में से एक हैं डॉ. विकास दिव्यकीर्ति (Vikas Divyakirti)। UPSC जैसी सबसे कठिन परीक्षा को खुद पास करने के बाद उन्होंने हजारों युवाओं को गाइड किया और अपने बेबाक बोल से लाखों दिलों में जगह बना ली। उनके बोले गए एक-एक शब्द में न सिर्फ अनुभव झलकता है, बल्कि एक आम छात्र की ज़िंदगी को समझने की गहराई भी होती है।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति की स्पीच और विचार सोशल मीडिया पर खूब वायरल होते हैं। उनकी बातें सुनकर कई युवा टूटने की बजाय और मजबूत हो जाते हैं। अगर आप भी किसी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं या अपने लक्ष्य को लेकर उलझन में हैं, तो डॉ. दिव्यकीर्ति की कुछ लाइनें आपकी सोच को नया रास्ता दे सकती हैं।
विकास दिव्यकीर्ति क्यों बन गए हैं युवाओं के आइकन
1. “जो तुम्हें नहीं मिला, हो सकता है वो किसी और के हिस्से की खुशी थी”
ये लाइन सुनने में साधारण लग सकती है, लेकिन इसकी गहराई वही समझ सकता है जिसने मेहनत के बावजूद सफलता हाथ से निकलते देखी हो। डॉ. दिव्यकीर्ति कहते हैं कि हर चीज़ हमारे लिए नहीं बनी होती, और जो हमसे छूट जाती है, शायद वो हमें नुकसान पहुंचा सकती थी। ये सोच युवाओं को असफलता से डरने की बजाय उससे सीखने का मौका देती है।
2. “ज़िंदगी एक बार मिलती है, लेकिन उसका सही इस्तेमाल भी एक कला है”
डॉ. दिव्यकीर्ति का मानना है कि हम सबको एक ही ज़िंदगी मिली है, लेकिन कैसे जीना है, ये हम खुद तय करते हैं। वे कहते हैं कि ज़्यादातर लोग अपने जीवन का नियंत्रण समाज, परिवार या डर के हाथों दे देते हैं। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि ज़िंदगी में कुछ बड़ा करें, तो सबसे पहले अपनी सोच को आज़ाद करना होगा।
3. “किसी की सफलता को देखकर खुद को मत कोसो, हर किसी की रेस अलग होती है”
आज की दुनिया में सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी सफलता दिखा रहा है। लेकिन डॉ. दिव्यकीर्ति युवाओं को ये समझाते हैं कि तुलना करना खुद को धोखा देना है। उनके अनुसार, हर किसी का सफर अलग होता है और हमें अपनी रफ्तार पर भरोसा रखना चाहिए।
क्यों खास हैं डॉ. दिव्यकीर्ति की बातें
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति सिर्फ शिक्षक नहीं, बल्कि एक संवेदनशील मार्गदर्शक हैं, जो छात्रों की भावनाओं और संघर्षों को गहराई से समझते हैं। उन्होंने खुद यूपीएससी क्लियर किया, फिर नौकरी छोड़ी और छात्रों को गाइड करने के लिए Drishti IAS की शुरुआत की। उनकी बातें सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वो ज़िंदगी को देखने का नजरिया बदलने वाली होती हैं।
उनके भाषणों में ना कोई दिखावा होता है, ना कोई बनावट। वे जिस अंदाज़ में बोलते हैं, वो सीधे दिल में उतर जाता है। यही वजह है कि युवा उन्हें सिर्फ एक टीचर नहीं, बल्कि एक मेंटर मानते हैं।





