Vikas Divyakriti की UPSC रैंक थी इतनी! जानिए पहली पोस्टिंग कहां मिली थी

Drishti IAS के फाउंडर विकास दिव्यकृति की UPSC रैंक और उनकी पहली पोस्टिंग को लेकर छात्रों में काफी जिज्ञासा रहती है। आइए जानते हैं उन्होंने किस रैंक से यूपीएससी क्लियर किया था और उन्हें सर्विस में किस पद पर पहली बार नियुक्त किया गया था।

UPSC की दुनिया में Drishti IAS एक ऐसा नाम है, जो हर तैयारी करने वाले छात्र की जुबान पर होता है। इस कोचिंग संस्थान के फाउंडर डॉ. विकास दिव्यकृति न सिर्फ एक जाने-माने शिक्षक हैं, बल्कि खुद भी UPSC एग्जाम को क्लियर कर चुके हैं। उनका पढ़ाने का अंदाज़, गहरी समझ और छात्रों से जुड़ने की कला ही उन्हें बाकी सब से अलग बनाती है।

लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि डॉ. विकास दिव्यकृति ने UPSC कब पास किया था, उनकी रैंक कितनी थी और उन्हें पहली पोस्टिंग कहां मिली थी। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि आज लाखों छात्रों के रोल मॉडल रहे विकास दिव्यकृति का सफर कैसे शुरू हुआ था, तो चलिए जानते हैं उस सफर की शुरुआत से जुड़ी कुछ खास बातें।

कितनी थी Vikas Divyakriti की UPSC रैंक?

विकास दिव्यकृति ने साल 1996 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास की थी और उनकी रैंक 88वीं थी। उस दौर में यह एक शानदार रैंक मानी जाती थी और इस रैंक के आधार पर उन्हें भारतीय विदेश सेवा (IFS) का ऑफर मिला। हालांकि, उन्होंने कुछ वक्त बाद सर्विस से इस्तीफा दे दिया और शिक्षा क्षेत्र में अपना योगदान देने का निर्णय लिया।

उनकी यह रैंक आज भी कई छात्रों के लिए मोटिवेशन है कि सिर्फ एग्जाम पास करना ही सब कुछ नहीं होता, असली पहचान तब बनती है जब आप अपने उद्देश्य के लिए एक स्पष्ट रास्ता चुनते हैं।

पहली पोस्टिंग और IFS छोड़ने का फैसला

UPSC रैंक के हिसाब से उन्हें भारतीय विदेश सेवा (Indian Foreign Service – IFS) मिली थी और शुरुआती ट्रेनिंग के बाद उन्हें भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से जुड़ी डिप्लोमेटिक जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं। लेकिन विदेशों में पोस्टिंग और ग्लैमर भरे करियर के बावजूद विकास दिव्यकृति ने ये नौकरी छोड़ दी।

उनका कहना था कि उन्हें क्लासरूम में पढ़ाना और छात्रों के भविष्य को आकार देना ज़्यादा संतुष्टि देता है। यही सोच लेकर उन्होंने Drishti IAS की शुरुआत की, जो आज देश के सबसे लोकप्रिय सिविल सेवा कोचिंग संस्थानों में से एक है।

UPSC की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए क्या सबक है?

विकास दिव्यकृति की कहानी बताती है कि UPSC सिर्फ एक एग्जाम नहीं, बल्कि एक सोच है। वो छात्र जो सोचते हैं कि केवल IAS या IFS बन जाना ही जिंदगी का टॉप लेवल है, उन्हें समझना चाहिए कि असली सफलता वहां है जहां आपको अपने काम में खुशी मिले।

आज विकास दिव्यकृति खुद छात्रों को पढ़ाते हैं, गाइड करते हैं और उन्हें ये समझाते हैं कि करियर सिर्फ पोस्टिंग और सैलरी नहीं होता, बल्कि समाज में आपका योगदान भी मायने रखता है। उनके इस कदम ने लाखों छात्रों को न सिर्फ बेहतर गाइडेंस दी, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास भी दिया कि UPSC पास करने के बाद भी आपके पास रास्ते होते हैं।

 


About Author
Bhawna Choubey

Bhawna Choubey

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

Other Latest News